सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर (SIR) को लेकर एक बार फिर अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा कि वह बिहार एसआईआर पर आंशिक फैसला नहीं दे सकता है। इस मामले में जो भी अंतिम निर्णय होगा, वह पूरे देश पर लागू होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह मानता है कि भारत निर्वाचन आयोग, जो कि एक संवैधानिक प्राधिकार है, बिहार में कानून और अनिवार्य नियमों का पालन कर रहा है। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर उन्हें बिहार एसआईआर के किसी भी चरण में चुनाव आयोग द्वारा अपनाई गई विधि में कोई अवैधता मिलती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा।
यह टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चुनाव आयोग की 10 सितंबर को बैठक हुई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने कहा था कि अगले साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए, अखिल भारतीय मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान 2025 के आगामी महीनों में चलाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआईआर मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलों को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। माना जा रहा है कि इस सुनवाई के बाद बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा भी की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार एसआईआर में आधार कार्ड को 12वें निर्धारित दस्तावेज के रूप में शामिल करने के निर्देश पर भी एक्शन लिया है। इस मामले में 8 सितंबर को आदेश वापस लेने की मांग पर याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
8 सितंबर की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। हालांकि, चुनाव आयोग मतदाता सूची में शामिल करने के लिए वोटर द्वारा प्रस्तुत किए जाने पर इसकी वास्तविकता का पता लगा सकता है।