छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि न्याय को गांव, गरीब और आम लोगों के लिए सुलभ होना चाहिए, तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अदालत की भूमिका सार्थक होगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि बुनियादी ढांचे और संसाधनों की उपलब्धता के साथ, हम समय पर न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कार्यक्रम में रजत जयंती समारोह पर केंद्रित एक स्मारिका का विमोचन किया गया।
‘रजत जयंती समारोह’ का आयोजन राज्यपाल रमेन डेका की मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति में शनिवार को संपन्न हुआ। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। हाई कोर्ट के जजों ने मुख्य अतिथि राज्यपाल और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू को पौधे और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत और अभिनंदन किया। उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, विधि मंत्री गजेंद्र यादव, पूर्व राज्यपाल रमेश बैस भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
राज्यपाल डेका ने कहा, “इस गौरवशाली अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की रजत जयंती समारोह में आप सभी को संबोधित करना मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है। 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ एक नए राज्य के रूप में स्थापित हुआ, तो शासन के साथ-साथ न्याय के क्षेत्र में भी यहां एक नई शुरुआत हुई। राज्य के जन्म के साथ ही महान संस्था छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर की भी स्थापना हुई।” उन्होंने आगे कहा, “तभी से यह हाई कोर्ट संविधान का व्याख्याकार, नागरिक अधिकारों का संरक्षक और न्याय का प्रहरी बनकर खड़ा है।” राज्यपाल ने लोक अदालत के अंतर्गत लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए कोर्ट की सराहना की। उन्होंने कोर्ट में लंबित मामलों को कम कर लोगों को त्वरित न्याय दिलाने की बात भी कही। उनका कहना है कि न्याय गांव, गरीब और आम लोगों के लिए भी सर्वसुलभ हो तभी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोर्ट की भूमिका सार्थक बनेगी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना की भी रजत जयंती मना रहा है। यह शुभ अवसर हमारे हाई कोर्ट की रजत जयंती का भी है। यह साल हमारी विधानसभा की रजत जयंती वर्ष भी है। इन सभी शुभ अवसरों पर मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर शहर को एक नई पहचान दी। इस शुभ अवसर पर हम भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री एवं हमारे राज्य के निर्माता अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनकी दूरदर्शिता से छत्तीसगढ़ राज्य एवं छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की स्थापना संभव हो सकी।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बुनियादी ढांचे और संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही हम किसी भी हालत में समय पर न्याय उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी सिलसिले में हमने साल 2023-24 की तुलना में विधि एवं विधायी विभाग के बजट में पिछले साल 25 फीसदी और इस साल 29 फीसदी की बढ़ोतरी की है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि इस पीठ के न्यायाधीश जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस नवीन सिन्हा, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस भूपेश गुप्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा जैसे जज देश के सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की स्थापना के बाद राज्य के युवाओं में लॉ प्रोफेशन की ओर भी रुझान बढ़ा है। इससे करियर के नए अवसर मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों के समय की दंड संहिता को खत्म कर भारतीय न्याय संहिता को लागू किया।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यह धान्य पूर्णता की ओर ली जाती है। जहां धर्म है वहीं पर विजय भी है। हमारा सच्चा कर्म और विचार ही धर्म है। चेतना ही सहज धर्म से जोड़ती है। अगले 25 साल में हम न्यायपालिका को कहां रखना चाहते है, इस पर विचार और योजना बनाने का समय है। आम आदमी कोर्ट के दरवाजे पर एक विश्वास के साथ आता है उस मूल भावना के साथ काम करे। केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा कि आज केवल न्यायपालिका के 25 सालों की यात्रा का उत्सव नहीं है बल्कि न्यायपालिका की उस सुदृढ़ परंपरा का सम्मान है जिसने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में अपना निरंतर योगदान दिया है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने रजत जयंती अवसर पर आए सभी अतिथियों और उपस्थित जनों को बधाई तथा शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का रजत जयंती कार्यक्रम निश्चित रूप से हम सभी के लिए गौरवशाली क्षण है। पिछले 25 सालों में कोर्ट ने विधि के शासन को स्थापित करने कई बेहतरीन काम किए हैं। समारोह के अंत में जस्टिस संजय के अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया।