बिलासपुर में मस्तूरी रोड पर कार सवार युवकों द्वारा किए गए स्टंट और पुलिस की कार्रवाई पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पुलिस द्वारा जब्त की गई 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना रिहा न करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस का प्रकोप केवल गरीब, मध्यम वर्ग और दलितों पर ही पड़ता है, जबकि अमीर अपराधियों के प्रति पुलिस नरम रवैया अपनाती है। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भरत ने बताया कि पुलिस ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया है और स्टंट में इस्तेमाल किए गए वाहनों को जब्त कर लिया गया है। कार मालिकों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश भी की गई है।
कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि 03 फरवरी को ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेने के बावजूद, सड़कों पर गुंडागर्दी को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि पुलिस धनी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाती है, उन्हें मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ देती है।
कोर्ट ने सवाल किया कि पुलिस ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करती, जो दूसरों की जान खतरे में डालते हैं। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई सबक सिखाने वाली होनी चाहिए। इसलिए, मस्तूरी पुलिस द्वारा जब्त की गई 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना रिहा नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर, 2025 को होगी।
मामला ग्राम लावर में एक फार्म हाउस में जन्मदिन मनाने जा रहे युवकों द्वारा मस्तूरी रोड पर कार स्टंट करने का है। इन युवकों ने तेज गति और लापरवाही से कार चलाकर दूसरों की जान जोखिम में डाली और यातायात जाम भी लगाया। पुलिस ने 18 कारों को जब्त किया और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की।