आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। ईडी ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े एक बड़े टेरर फंडिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई के तहत, ईडी ने नेटवर्क के प्रमुख सदस्य राजू खान की करोड़ों रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गई है, जो भारत की जांच एजेंसियों की आतंकी फंडिंग को खत्म करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की संपत्ति जब्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जटिल आतंकी फंडिंग नेटवर्क की कहानी है जो वर्षों से देश में सक्रिय था। जांच एजेंसियों के अनुसार, राजू खान इस नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उसके बैंक खातों की जांच से पता चला है कि उसे 48.82 लाख रुपये मिले थे, जिसमें से 42.47 लाख रुपये प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों को भेजे गए थे। यह सब पाकिस्तान में बैठे खालिद और भारत में उसके साथी धीरज साओ के निर्देशों पर किया गया था। यह राशि देश भर में फैले स्लीपर सेल और ऑपरेटर्स तक पहुंचाई जा रही थी ताकि वे अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।
इस मामले की जड़ें 2011 तक जाती हैं, जब धीरज साओ ने रायपुर में एक चिकन की दुकान खोली। उसे पाकिस्तान में बैठे खालिद का फोन आया जिसने उसे बैंक खाता खोलने और पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश दिया। धीरज को कमीशन के रूप में 13% रखने को कहा गया, जबकि बाकी पैसे जुबैर हुसैन, आयशा बानू और अन्य के खातों में जमा करने थे।
जांच में पता चला कि फंडिंग कई चरणों में हुई थी। धीरज साओ ने कई बैंक खातों का इस्तेमाल करके पैसे अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त किए, जो अक्सर नकद के रूप में थे। इन पैसों को फिर जुबैर हुसैन, आयशा बानू, और राजू खान जैसे लोगों तक पहुंचाया गया। राजू खान के खाते आगे धन हस्तांतरित करने के लिए उपयोग किए गए, जिससे यह एक जटिल नेटवर्क बन गया।
ईडी की जांच रायपुर, छत्तीसगढ़ के खमतराई पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी से शुरू हुई, जो यूएपीए, 1967 के तहत धीरज साओ और अन्य के खिलाफ थी। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि कुछ बैंक खातों का उपयोग भारत में अज्ञात स्रोतों से धन प्राप्त करने और खालिद के निर्देशों पर उसे आगे भेजने के लिए किया जा रहा था।
राजू खान ने इस टेरर फंडिंग नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसने धन को प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों तक पहुंचाने में मदद की थी। उसके बैंक खातों का विश्लेषण करने पर पता चला कि उसने 48.82 लाख रुपये की कुल जमा राशि प्राप्त की थी, जिसमें से 42.47 लाख रुपये संगठन के सदस्यों को हस्तांतरित कर दिए गए थे।
राजू खान ने 6.34 लाख रुपये अपने पास कमीशन के रूप में रखे, जो लगभग 13% था। ईडी ने इस राशि को अपराध की आय के रूप में वर्गीकृत किया है। राजू खान की यह संपत्ति, जिसे ईडी ने जब्त किया है, उसी 6.34 लाख रुपये से संबंधित है।
राजू खान 5 दिसंबर 2021 को गिरफ्तार होने के बाद से न्यायिक हिरासत में है। 21 दिसंबर 2023 को उसे दिल्ली में एक अलग मामले में गिरफ्तार किया गया, जहां वह धोखाधड़ी वाले सिम कार्डों के वितरण में शामिल था। वह पीएमएलए और यूएपीए दोनों के तहत आरोपों का सामना कर रहा है।
यह मामला 2013 में धीरज साओ की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ, जिसके बाद मैंगलोर के जुबैर हुसैन और आयशा बानू को गिरफ्तार किया गया। राजू खान को 2021 में गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।