छत्तीसगढ़ में जनजातीय समुदायों पर शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU) और ट्राइबल रिसर्च एंड नॉलेज सेंटर (TRKC) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) हुआ है। इस समझौते का उद्देश्य राज्य की जनजातियों की गौरवशाली परंपराओं, संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर उच्च स्तरीय शोध को बढ़ावा देना है। टीआरकेसी, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जनजातीय विषयों पर शोध का समर्थन करता है, इस शोध में अहम भूमिका निभाएगा। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अभय एस रणदिवे और टीआरकेसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी श्री राजीव शर्मा ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत, अगले तीन वर्षों तक छत्तीसगढ़ की जनजातियों पर शोध कार्य किए जाएंगे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे और वनवासी कल्याण आश्रम के पदाधिकारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। श्री राजीव शर्मा ने बताया कि इस शोध से जनजातीय समुदायों के अनछुए पहलुओं, उनकी सभ्यता और संस्कृति पर प्रकाश डाला जाएगा, जिससे आम जनता को महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। शोध सरगुजा और बस्तर क्षेत्रों की जनजातियों के सामाजिक संगठन, अर्थशास्त्र, सुशासन, ग्रामीण उद्यमिता और सतत विकास पर भी केंद्रित होगा। इसके अतिरिक्त, यह युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत के बारे में जानने में मदद करेगा।
गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय और टीआरकेसी के बीच समझौता ज्ञापन, जनजातियों पर शोध का मार्ग प्रशस्त
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