प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने शांति वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने सशस्त्र संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा की है, लेकिन साथ ही सरकार से औपचारिक रूप से एक महीने के लिए सुरक्षा अभियानों को रोकने का अनुरोध भी किया है। माओवादियों ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित एक कथित बयान में सरकार से इस मुद्दे पर अपने फैसले को इंटरनेट और रेडियो सहित सरकारी समाचार माध्यमों के माध्यम से साझा करने का आग्रह भी किया है।
माओवादी संगठन ने सरकार के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा। वार्ता की पहल के बाद भी सरकार ने गिरफ्तारियां और कार्रवाई तेज कर दी। वहीं हजारों कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है, साथ ही आंदोलनकारी नेताओं पर शिकंजा कसा जा रहा है।
मई 2025 में, महासचिव सहित 28 बड़े माओवादी पकड़े गए थे। माओवादियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय के नाम से 15 अगस्त को जारी किया गया यह दो-पृष्ठ का बयान, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 21 मई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू के मारे जाने के लगभग चार महीने बाद आया है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बयान पर कहा कि इसकी सत्यता की जांच की जा रही है और माओवादियों के लिए सबसे अच्छा तरीका आत्मसमर्पण करना और पुनर्वास का लाभ प्राप्त करना है। विजय शर्मा गृह विभाग भी संभालते हैं। शर्मा ने कहा कि ‘संघर्ष विराम’ शब्द बेहद आपत्तिजनक है, क्योंकि युद्ध जैसी कोई स्थिति नहीं है, जिसके लिए इसकी आवश्यकता हो। लोकतंत्र में बातचीत सशर्त नहीं हो सकती, फिर भी उन्होंने एक बार फिर पूर्व शर्तें रख दी हैं।
उन्होंने कहा कि बयान की पुष्टि के बाद सरकार के भीतर चर्चा की जाएगी। माओवादियों ने बयान में कहा है कि उन्होंने पहले सरकार के सामने संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा था और संगठन के शीर्ष नेतृत्व के साथियों से परामर्श के लिए एक महीने का समय मांगा था। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर अनुकूल रुख नहीं दिखाया, बल्कि अपनी गतिविधियों को और तेज कर दिया।
माओवादियों ने अपने कथित बयान में कहा है, हमारी पार्टी के माननीय महासचिव (मुठभेड़ में मारे गए बसवराजू) की पहल पर शुरू हुई शांति वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के तहत, हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि बदलते विश्व और देश की परिस्थितियों के अलावा, देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा हमें हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए किये जा रहे अनुरोधों के मद्देनजर हमने हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है। हमने हथियारबंद संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने का निर्णय लिया है।
कथित बयान में कहा गया है, इस विषय पर प्राथमिक रूप से सरकार के साथ वीडियो कॉल के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी हम तैयार हैं। इसलिए हम एक बार फिर स्पष्ट कर रहे हैं कि सरकार को एक माह के लिए औपचारिक रूप से संघर्ष रोकने की घोषणा करके और खोजी अभियानों को रुकवाकर शांति वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए। बयान में यह भी कहा गया है कि कई कारणों से इसे देरी से जारी किया गया।
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि पुलिस ने हथियार डालने और शांति वार्ता की संभावना के बारे में भाकपा (माओवादी) केंद्रीय समिति की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि विज्ञप्ति की प्रमाणिकता की पुष्टि की जा रही है और इसकी विषयवस्तु की सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि भाकपा (माओवादी) के साथ बातचीत या संपर्क पर कोई भी निर्णय पूरी तरह से सरकार का है, जिसपर निर्णय स्थिति और परिस्थितियों पर उचित विचार और आकलन के बाद लिया जाएगा।