रायपुर। वित्त विभाग के सचिव मुकेश बंसल ने GPF (सामान्य भविष्य निधि) खातों के उचित रख-रखाव और प्रबंधन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में GPF खातों से कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं का उल्लेख किया गया है, साथ ही इन सुविधाओं का लाभ लेने वाले कर्मचारियों की फाइलों के निपटारे के संबंध में प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों के विभाग प्रमुखों को निर्देश जारी किए गए हैं। कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के दौरान सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ प्रदान करने के अलावा, यदि किसी कर्मचारी से सरकार को कोई राशि वसूल करनी है, तो इसके लिए वसूली नोटिस से संबंधित दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं।
सामान्य भविष्य निधि नियम 1955 के नियम 11 के उपनियम (1) (ख) में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार, परिलब्धियों (emoluments) का 12 प्रतिशत के बराबर न्यूनतम कटौती का प्रावधान है, लेकिन सरकार आदेश द्वारा अभिदाता को निधि में अधिक रकम जमा करने का निर्देश दे सकती है, जो उनकी परिलब्धियों से अधिक नहीं होगी। परिलब्धि की गणना के लिए वेतन, अवकाश वेतन या निर्वाह भत्ता, जैसा कि सेवा नियमों में परिभाषित है, और बाहरी सेवा के दौरान वेतन के रूप में पात्र कोई भी पारिश्रमिक शामिल होगा। महंगाई भत्ता इसमें शामिल नहीं है।
- GPF (सामान्य भविष्य निधि) खातों से इन कार्यों के लिए राशि मिलती है:
- स्वयं और बच्चों के विवाह संबंधी खर्चों के लिए।
- स्वयं, पति, पत्नी, बच्चों और आश्रित माता-पिता के चिकित्सा खर्चों के लिए।
- आवासीय भवन के निर्माण, मरम्मत के लिए।
- सरकारी सेवक या उसके किसी बच्चे की हाई स्कूल स्तर के बाद मेडिकल, इंजीनियरिंग या तकनीकी / विशेषज्ञता कोर्स सहित विदेश यात्रा व्यय की पूर्ति के लिए।
- सरकारी सेवकों को स्वयं के लिए आवासीय भूखंड और बने बनाए मकान खरीदने के लिए।
सामान्य भविष्य निधि खातों के रख-रखाव संबंधी दिशा-निर्देश:
सामान्य भविष्य निधि वाले सरकारी सेवकों का लेखा, विभागीय भविष्य निधि (DPF) वाले खातों के साथ रखने की अनुमति नहीं है। विभागीय भविष्य निधि खातों का लेखा कार्यालय प्रमुख को अलग से रखना होगा।
प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में, संबंधित सरकारी सेवकों की विभागीय भविष्य निधि की लेखा पर्ची (ब्याज गणना सहित) जारी की जाएगी और इसकी ब्याज गणना की एक समेकित सूची प्रतिवर्ष 30 अप्रैल तक विभागाध्यक्ष को भेजी जाएगी। मई महीने के वेतन बिल के साथ यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उनसे संबंधित पिछले वित्तीय वर्ष के ब्याज पत्रक विभागाध्यक्ष को भेजे जा चुके हैं। विभागाध्यक्ष को भी अपने अधीनस्थ सभी कार्यालयों से प्राप्त ब्याज पत्रों को समेकित करके 31 मई तक महालेखाकार को भेजना होगा। जून महीने के वेतन बिल के साथ यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उनसे संबंधित पिछले वित्तीय वर्ष के ब्याज पत्रक महालेखाकार को भेजे जा चुके हैं।
सरकारी सेवा में शामिल होते ही नामांकन अनिवार्य:
सरकारी सेवा में शामिल होते ही, सरकारी सेवक को सामान्य भविष्य निधि के लिए नामांकन करना अनिवार्य होगा। इसे पूरा करने की जिम्मेदारी कार्यालय प्रमुख को दी गई है। नामांकन में विवाह के बाद होने वाले परिवर्तनों को तुरंत कार्यालय प्रमुख के माध्यम से महालेखाकार को सूचित करना होगा और इसे अपडेट कराना होगा। इसके लिए नियम-8 की प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया गया है। अनुपस्थिति, अनाधिकृत अनुपस्थिति आदि के मामलों में, यदि वेतन रोका गया है, तो वेतन जारी करते समय सामान्य भविष्य निधि की कटौती वेतन से करने का निर्देश दिया गया है।
सेवानिवृत्ति से चार महीने पहले कटौती बंद:
छत्तीसगढ़ सामान्य भविष्य निधि नियम 10 (1) के अनुसार, कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से चार महीने पहले वेतन से सामान्य भविष्य निधि की कटौती बंद कर दी जाएगी। यदि किसी कर्मचारी को महालेखाकार द्वारा त्रुटिवश एक से अधिक सामान्य भविष्य निधि खाता क्रमांक आवंटित किए जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में पहला खाता क्रमांक मान्य किया जाएगा, और अन्य आवंटित खाता क्रमांक को तुरंत रद्द कर दिया जाएगा।
ये जरूरी शर्तें:
सरकारी सेवक की सेवानिवृत्ति के बाद पुनर्नियुक्ति के सभी मामलों में, सरकारी सेवक के सेवाकाल में उसे आवंटित सामान्य भविष्य निधि खाते को सेवानिवृत्ति के बाद अंतिम भुगतान के बाद बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद, एक नया सामान्य भविष्य निधि खाता खोला जाएगा और उसमें अंशदान की राशि जमा की जाएगी।
सेवानिवृत्ति से 01 वर्ष पहले ही सामान्य भविष्य निधि पासबुक को अपडेट करने की कार्रवाई की जाएगी।
कर्मचारी द्वारा सेवानिवृत्ति से पहले सामान्य भविष्य निधि पासबुक में सभी प्रविष्टियाँ (पूर्ण सेवा अवधि की कटौती और आहरण के संबंध में पूर्ण विवरण- वाउचर नंबर, दिनांक, सकल राशि, शुद्ध राशि, अग्रिम/आंशिक अंतिम आहरण) पूरी करनी होंगी और विभाग प्रमुख/आहरण एवं वितरण अधिकारी से सत्यापित कराना होगा।
चार महीने बंद होगी अंशदान की कटौती:
सेवानिवृत्ति से 04 महीने पहले कर्मचारी के खाते से अंशदान की कटौती बंद कर दी जाएगी।
यदि सरकारी सेवक के सामान्य भविष्य निधि खाते में पिछले वर्षों में कोई खोई हुई क्रेडिट (Missing Credits) की राशि है, तो उसे जल्द से जल्द उचित कार्रवाई करते हुए अपने खाते में जमा कराना होगा, ताकि अंतिम भुगतान के समय नुकसान न हो।
यह भी जरूरी है:
ऐसे सरकारी सेवक जो पहले विभागीय भविष्य निधि (DPF) के सदस्य थे और बाद में GPF (सामान्य भविष्य निधि) के सदस्य बने, उन्हें समय पर अपनी विभागीय भविष्य निधि (DPF) की राशि को सामान्य भविष्य निधि (GPF) में स्थानांतरित करना होगा। ऐसा इसलिए ताकि सामान्य भविष्य निधि के अंतिम भुगतान के समय किसी भी प्रकार की समस्या न आए। कर्मचारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, सेवा से अलग होने, पदत्याग या मृत्यु की स्थिति में एक महीने के भीतर महालेखाकार कार्यालय को अनिवार्य रूप से जानकारी देनी होगी। दिवंगत सरकारी सेवकों के अंतिम आहरण के लिए कर्मचारी के मृत्यु प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति और वैध नामांकन (विवाद रहित) नामांकित व्यक्ति के पक्ष में होना अनिवार्य है। इसके अभाव में सक्षम उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate) संलग्न करना अनिवार्य है।
सामान्य भविष्य निधि पर ब्याज का भुगतान:
जिस महीने में राशि का भुगतान किया जाता है, उसके पिछले महीने तक या जिस महीने में राशि भुगतान योग्य होती है (सेवानिवृत्ति, मृत्यु, त्यागपत्र आदि के परिणामस्वरूप) उस महीने के बाद 6 महीने की समाप्ति तक, दोनों में जो भी पहले हो, ब्याज की पात्रता होगी। विशिष्ट मामलों में, जहां अपरिहार्य कारणों से सेवानिवृत्ति के 6 महीने के भीतर सामान्य भविष्य निधि का अंतिम भुगतान आदेश जारी करना संभव नहीं हो सका हो, विलंब का स्पष्ट कारण बताते हुए प्रशासनिक विभाग को 6 महीने की अवधि के बाद ब्याज स्वीकृत करने का अधिकार होगा।
एक साल के अंतराल में रिटायर होने वाले कर्मचारियों की सूची भेजनी होगी:
सभी विभागाध्यक्ष और कार्यालय प्रमुख प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को एक सूची तैयार करके महालेखाकार को भेजेंगे। जिसमें आगामी 1 अक्टूबर से 12 महीने के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी सेवकों का नाम, खाता संख्या और सेवानिवृत्ति की तिथि अंकित होगी। इसका उद्देश्य सामान्य भविष्य निधि खातों का उचित रख-रखाव करना, सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों को नियमानुसार निर्धारित समय सीमा में भुगतान सुनिश्चित करना और ऋणात्मक शेष की स्थिति पर पूरी तरह से रोक लगाना है।