रायपुर। गुरुवार से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 14 पन्नों की ट्रांसफर सूची तेजी से वायरल हो रही है। वायरल सूची को लेकर स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। शिक्षकों के व्हाट्सएप ग्रुप में इस ट्रांसफर सूची को लेकर काफी दिलचस्पी देखी जा रही है। सूची में शामिल नामों पर टिप्पणियां भी की जा रही हैं।
जिन शिक्षकों के नाम सूची में शामिल होने की उम्मीद थी, वे वायरल सूची देखकर इसे सही बता रहे हैं। वहीं, कुछ शिक्षक और संगठन के पदाधिकारी कुछ नामों को देखकर असहमत हैं और सवाल उठा रहे हैं। फिलहाल, स्कूल शिक्षा विभाग की इस सूची को लेकर चर्चा जारी है, साथ ही पक्ष और विपक्ष में बातें हो रही हैं। स्वाभाविक है कि कुछ नामों पर आपत्ति है, जबकि अधिकांश नामों पर सहमति भी दिखाई दे रही है।
सहमति और असहमति के बीच, सवाल यह है कि सूची वायरल कैसे हुई। सिस्टम को जानने और समझने वाले भी हैरान हैं कि इतनी गोपनीय दस्तावेज, जो आमतौर पर गोपनीय होता है, कैसे लीक हुआ और किसने यह सब किया। सिस्टम की गोपनीयता और कामकाज के तरीके पर सवाल उठ रहे हैं। जाहिर है, आने वाले दिनों में जिम्मेदार लोगों पर इस लापरवाही का ठीकरा फूटेगा।
वायरल सूची ने बढ़ाई धड़कनें
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही सूची ने विभाग से जुड़े उन लोगों की धड़कनें बढ़ा दी हैं जो वैचारिक रूप से या संगठनात्मक दृष्टिकोण से एक-दूसरे से अलग विचार रखते हैं। ऐसे नामों को सूची में देखकर एक खेमे की धड़कनें भी बढ़ गई हैं। चर्चा हो रही है कि अगर वायरल सूची सही निकली तो क्या होगा। सवाल यह भी है कि क्या नए सिरे से समायोजन और समीकरण बनाना होगा। फिलहाल, ट्रांसफर सूची के वायरल होने के बाद शिक्षकों और शिक्षक संगठनों के बीच यह चर्चा का विषय और हॉट टॉपिक बना हुआ है।
वरिष्ठ अधिकारी जता रहे आश्चर्य, सिस्टम पर सवाल
शिक्षा विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षक, ट्रांसफर सूची के वायरल होने पर सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। वे सवाल कर रहे हैं कि आखिर यह सब करने की जरूरत ही क्यों पड़ी। सिस्टम में शामिल किस अधिकारी को यह सूची पसंद नहीं आ रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि सूची को लेकर मतभेद की स्थिति में सिस्टम के तहत बदलाव भी किया जा सकता था, बजाय सोशल मीडिया में वायरल करने के। जाहिर है, एक बार फिर विभाग के आला अधिकारियों को नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ेगी।