टीवी9 भारतवर्ष के सत्ता सम्मेलन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वैदिक घड़ी पर खुलकर बात की। उनसे सवाल किया गया कि उन पर विज्ञान की तुलना में वेदों पर अधिक भरोसा करने का आरोप लगता है, जिसके कारण धर्म, आध्यात्मिकता और हिंदुत्व को प्राथमिकता दी जाती है। इसका जवाब देते हुए, सीएम ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वैदिक घड़ी से किसी को क्या समस्या है? यह एक आईटी छात्र द्वारा बनाई गई है। अगर विज्ञान पर विश्वास नहीं है, तो वह वैदिक घड़ी कैसे बना रहा है?
उन्होंने उज्जैन में डोंगला में बनाई गई वेधशाला का उदाहरण दिया, जो काल गणना के सटीक समय को प्रमाणित करती है। सीएम ने कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी, स्पेस टेक्नोलॉजी और आईटी पॉलिसी आ रही है, और मध्य प्रदेश विज्ञान के क्षेत्र में सबसे तेजी से अनुसंधान को बढ़ावा दे रहा है।
सीएम ने वैदिक घड़ी को समझाते हुए कहा कि हमारे यहां 48 मिनट का एक मुहूर्त होता है, जैसे कि हम क्लास में 45 मिनट का पीरियड लेते हैं। मेडिकल साइंस भी मानता है कि एक औसत व्यक्ति की सुनने और समझने की क्षमता लगभग 45 मिनट की होती है।
जब उनसे पूछा गया कि युवाओं के पास स्मार्टवॉच होने पर वैदिक घड़ी की क्या जरूरत है, तो उन्होंने कहा कि एआई का जमाना है, लेकिन इसकी अपनी सीमाएं हैं। वैदिक घड़ी हमेशा सूर्य पर आधारित होती है। उन्होंने खगोल विज्ञान के महत्व पर जोर दिया, जिसमें सूर्य की परिक्रमा के आधार पर दिनों की गणना की जाती है। पृथ्वी 365 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करती है, जिससे एक वर्ष बनता है। शुक्र 245 दिनों में, जबकि शनि 29.5 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है।
सीएम यादव ने कहा कि दुनिया में ऐसे कई देश हैं जहां छह महीने तक अंधेरा रहता है। उन्होंने वैदिक गणित की उपयोगिता पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के संदर्भ में। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए लैपटॉप का उपयोग कर सकता है, लेकिन फिर भी उसे कठिनाई होगी। वहीं, हमारे पंचांग वाले पंडित 10,000 साल पहले या 5,000 साल बाद होने वाले ग्रहणों की गणना केवल दो मिनट में कर सकते हैं, जो भारतीय ज्ञान पर आधारित है।