गंभीर चक्रवाती तूफान ‘मोन्था’ ने मंगलवार शाम को आंध्र प्रदेश के तट से टकराकर दस्तक दी। इस शक्तिशाली तूफान ने राज्य में व्यापक विनाश का कारण बना, जिसमें आंध्र प्रदेश के 38,000 हेक्टेयर में खड़ी फसलें और 1.38 लाख हेक्टेयर में बागवानी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। वहीं, पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी इसका गंभीर असर देखने को मिला, जिससे 15 जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
आंध्र प्रदेश के कोनसीमा जिले के मकानागुडेम गांव में तूफान की वजह से उखड़े ताड़ के पेड़ के गिरने से एक महिला की दर्दनाक मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि तेज हवाओं के कारण यह हादसा हुआ। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, आंध्र प्रदेश सरकार ने लगभग 76,000 लोगों को सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाया। इसके अलावा, 219 चिकित्सा शिविर और 865 टन पशु चारा की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने प्रभावित जिलों, जिनमें कृष्णा, एलुरु और काकीनाडा शामिल हैं, में रात 8:30 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी, हालांकि आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं को इससे छूट दी गई है।
रेलवे और हवाई यातायात पर भी चक्रवात का भारी असर पड़ा। ईस्ट कोस्ट रेलवे जोन के वाल्टेयर डिवीजन में 120 ट्रेनों को रद्द, डायवर्ट या रीशेड्यूल किया गया। इसी तरह, दक्षिण मध्य रेलवे जोन ने सोमवार और मंगलवार को कुल 120 ट्रेनों का परिचालन स्थगित कर दिया। विशाखापत्तनम हवाई अड्डे से उड़ान भरने वाली सभी 32 उड़ानें और विजयवाड़ा हवाई अड्डे की 16 उड़ानें रद्द कर दी गईं, हालांकि 5 उड़ानें संचालित हुईं।
ओडिशा में, ‘मोन्था’ के कारण तटीय और दक्षिणी जिलों में भारी बारिश हुई, जिससे कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ और मकानों को नुकसान पहुंचा। मलकनगिरी, कोरापुट, रायगढ़ा, गजपति, गंजाम, कंधमाल, कालाहांडी और नबरंगपुर जिलों से शुरुआती नुकसान की रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं। गजपति जिले के अनाका ग्राम पंचायत में पहाड़ी से बड़े-बड़े बोल्डर गिरने से पांच गांवों का सड़क संपर्क टूट गया। लिंगा-बरभRoad पर भी भूस्खलन की सूचना मिली। रायगढ़ा जिले के गुनपुर, गुदारी और रामनागुडा क्षेत्रों में भी पेड़ उखड़ गए।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने राज्य में तूफान के प्रभाव का जायजा लिया और “शून्य हताहत” लक्ष्य की घोषणा की। उन्होंने बताया कि प्रभावित लोगों के लिए 2,000 से अधिक आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं और एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ व दमकल सेवा की 153 बचाव टीमें (6,000 से अधिक कर्मी) संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात हैं।






