दिल्ली: लाल किले के पास एक भयानक आतंकी हमला हुआ है, जिसकी सीसीटीवी फुटेज सामने आई है। फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि कैसे एक कार में रखे विस्फोटकों में अचानक आग लग गई और वह जोरदार धमाके के साथ फट गई। इस दर्दनाक घटना में 12 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। यह धमाका सोमवार शाम करीब 6:50 बजे नेताजी सुभाष मार्ग पर हुआ, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों से भरे व्यस्त इलाके में दहशत फैल गई।

सरकार ने लाल किले के बाहर हुए इस धमाके को ‘जघन्य आतंकी कृत्य’ करार दिया है और जांच एजेंसियों को इसे अत्यंत गंभीरता और व्यावसायिकता के साथ संभालने का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस पर एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें आतंकवाद के खिलाफ भारत के अडिग रुख को दोहराया गया। कैबिनेट ने कहा, “कैबिनेट आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराता है।” उन्होंने जोर दिया कि घटना की जांच तेजी से और पेशेवर तरीके से की जानी चाहिए ताकि दोषियों, उनके सहयोगियों और साजिशकर्ताओं को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके।
शुरुआती जांच में इस धमाके को फरीदाबाद में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा निष्क्रिय किए गए एक आतंकी मॉड्यूल से जोड़ा गया है। यह मॉड्यूल कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़ा हुआ है और हरियाणा के अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े व्यक्तियों से इसके संबंध बताए जा रहे हैं। जांचकर्ताओं का मानना है कि सुरक्षा छापों की एक श्रृंखला के बाद घबराहट में लाल किले के पास यह हमला किया गया था। पुलवामा निवासी डॉ. उमर नबी, जो फरीदाबाद के अल-फलाह अस्पताल में कार्यरत हैं, पर हमले में इस्तेमाल की गई सफेद हुंडई आई20 चलाने का संदेह है। अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों के ऑपरेशन से भारत भर में बड़े आतंकी हमलों की योजना को विफल किया जा सकता था। लाल किले के पास हुए इस धमाके की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई है, जो मामले की अगुवाई कर रही है।





