
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है, जहां जहरीले स्मॉग ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गया है, जो 400 के पार दर्ज किया गया है। यह स्थिति निवासियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है।
दिल्ली के 39 निगरानी स्टेशनों में से आधे से अधिक, यानी 20 स्टेशनों पर AQI 400 से ऊपर दर्ज किया गया। सुबह 6:50 बजे के आंकड़ों के मुताबिक, जहांगीरपुरी, रोहिणी, आनंद विहार, बुराड़ी, अलीपुर, अशोक विहार, बवाना, आईटीओ और द्वारका जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर सर्वाधिक गंभीर रहा। जहांगीरपुरी में AQI 455, आनंद विहार में 441, बवाना में 437 और रोहिणी में 458 तक पहुंच गया। इस अत्यधिक प्रदूषण के कारण सुबह के समय दृश्यता (visibility) काफी कम हो गई, जिससे लोग घरों से बाहर निकलने से कतराने लगे। इंडिया गेट जैसे सार्वजनिक स्थानों पर भी सुबह की सैर करने वालों की संख्या नगण्य दिखी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में भी स्थिति कोई कम चिंताजनक नहीं है। नोएडा का AQI 396 (बहुत खराब) और गाजियाबाद का 432 (गंभीर) दर्ज किया गया। गुरुग्राम और फरीदाबाद में AQI ‘खराब’ श्रेणी में है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण का खतरा इन शहरों पर भी मंडरा रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस जहरीली हवा के कारण श्वसन संबंधी और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों के लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।
बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ लोगों का गुस्सा भी फूट पड़ा है। रविवार को इंडिया गेट पर कई निवासियों ने सरकार की निष्क्रियता के विरोध में प्रदर्शन किया। ‘दिल्ली कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर क्लीन एयर’ द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में लोगों ने आरोप लगाया कि सरकार प्रदूषण की समस्या के मूल कारणों को संबोधित करने में विफल रही है और केवल सतही उपाय कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने जल छिड़काव जैसे उपायों की आलोचना करते हुए स्थायी समाधान की मांग की। autoridades पर जनता का दबाव बढ़ रहा है कि वे सख्त और स्थायी रणनीतियां अपनाएं।



