भारत 2027 में अपनी पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना के लिए तैयार है। यह महत्वपूर्ण कवायद, जो छह साल की देरी के बाद हो रही है, कई नई सुविधाओं के साथ आएगी। सरकार ने देश भर में एक प्री-टेस्ट चरण की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य परिचालन तत्परता का आकलन करना है।
नागरिकों को 1 से 7 नवंबर, 2025 तक ‘सेल्फ-एन्यूमरेशन’ (स्व-गणना) के माध्यम से अपनी जानकारी डिजिटल रूप से जमा करने का अवसर मिलेगा। यह पहली बार होगा जब भारत अपनी जनगणना डिजिटल माध्यम से पूरी करेगा। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में होने वाली यह जनगणना कई बार टल चुकी है।
**प्री-टेस्ट चरण की तैयारी**
जनगणना 2027 के लिए प्री-टेस्ट 10 से 30 नवंबर, 2025 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चयनित नमूना क्षेत्रों में आयोजित किया जाएगा। इस प्री-टेस्ट में मोबाइल एप्लिकेशन, सर्वेक्षण विधियों, प्रशिक्षण मॉड्यूल और लॉजिस्टिक्स का परीक्षण किया जाएगा। ‘सेल्फ-एन्यूमरेशन’ सुविधा का भी इसमें परीक्षण होगा।
**मुख्य विशेषताएं और परिवर्तन**
2027 की जनगणना भारत की पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें लगभग 34 लाख गणक अपने व्यक्तिगत उपकरणों का उपयोग करेंगे। एंड्रॉइड और आईओएस के लिए मोबाइल ऐप कई भाषाओं का समर्थन करेंगे और सीधे सर्वर पर डेटा अपलोड की अनुमति देंगे।
पहली बार, निम्नलिखित शामिल किया जाएगा:
* देशव्यापी जाति गणना।
* सभी आवासीय और गैर-आवासीय भवनों को डिजिटल लेआउट मैपिंग (DLM) के माध्यम से जियोटैग किया जाएगा।
* डेटा क्षेत्रीय भाषाओं, हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध होगा, साथ ही आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ‘सेल्फ-एन्यूमरेशन’ का विकल्प भी होगा।
**जनगणना की समय-सारणी**
जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी: हाउसिंग लिस्टिंग (अप्रैल-सितंबर 2026) और पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (फरवरी 2027, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख में सितंबर 2026 से शुरू)।
**छह साल की देरी का कारण**
पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। छह साल की देरी के कारण अधिकारियों को प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने, डिजिटल समाधान लागू करने और एक सटीक गणना की योजना बनाने का अवसर मिला है।


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