खुशियों के त्योहार दीपावली की पूर्व संध्या पर, अनंतनाग के मट्टन स्थित ऐतिहासिक मार्तंड सूर्य मंदिर (सूर्य मंदिर) दीयों की पारंपरिक रोशनी से जीवंत हो उठा। कश्मीरी पंडितों ने पूरे जोश और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ इस पर्व को मनाया।
यह उत्सव, जो कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए एक पुरानी परंपरा है, सांप्रदायिक सद्भाव का एक अनूठा उदाहरण बना। स्थानीय मुसलमानों ने भी इस खुशी में शामिल होकर भाईचारे की मिसाल पेश की। दोनों समुदायों की यह भागीदारी क्षेत्र में सदियों पुरानी भाईचारे की भावना को दर्शाती है।
मंदिर परिसर और आसपास के इलाके दीयों और रोशनी से जगमगा रहे थे, जिससे एक खुशनुमा और उत्सवपूर्ण माहौल बन गया था। अनंतनाग शहर के निवासियों ने भी इस अवसर पर हिस्सा लिया और एकजुटता की भावना से एक-दूसरे को मिठाइयां बांटीं और शुभकामनाएं दीं।
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने एकता और मित्रता को बढ़ावा देने के लिए इस उत्सव में भाग लिया। यह वार्षिक आयोजन इस ऐतिहासिक स्थल पर त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जो प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है।
मुख्य लक्ष्मी पूजा अमावस्या तिथि पर विधि-विधान से संपन्न हुई। दीये जलाने और अन्य उत्सव संबंधीgatherings देर शाम तक जारी रहे, जिसने इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा दिया।
मार्तंड तीर्थ ट्रस्ट के अनुसार, यह मंदिर सूर्य देव के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है, जिसके कारण दीपावली उत्सव के दौरान इसका विशेष महत्व है।
इस वर्ष का उत्सव न केवल परंपराओं की पुन: पुष्टि थी, बल्कि कश्मीर में 1990 के दशक से पहले की सामान्य स्थिति और सद्भाव की वापसी के लिए समुदाय की आशाओं की एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति भी थी। यह आयोजन क्षेत्र में शांति और एकता की कामना का प्रतीक बना।