तमिलनाडु में महिलाओं को संपत्ति में समान अधिकार देने वाला कानून 1989 में पारित किया गया था। अब, उत्तर प्रदेश सरकार भी इस पर विचार कर रही है। डीएमके ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश 35 साल पीछे है। डीएमके ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह विवाहित बेटियों को उनके पिता की कृषि भूमि में समान अधिकार देने पर विचार कर रहा है, जबकि तमिलनाडु ने यह पहले ही कर दिया है। डीएमके के मुखपत्र ‘मुरासोली’ ने कहा कि उत्तर प्रदेश को अब एहसास हुआ है कि 35 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने क्या किया था। 1929 में पेरियार ई.वी. रामासामी ने महिलाओं के लिए संपत्ति के अधिकारों की मांग की थी। 1927 में चेन्नई प्रेसीडेंसी में गैर-ब्राह्मण युवकों के पहले सम्मेलन में भी इस तरह की मांग उठी थी। डीएमके ने कहा कि उत्तर प्रदेश कथित तौर पर विवाहित बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में हिस्सा देने के लिए कानून बनाने वाला है और यह दर्शाता है कि राज्य कितना पिछड़ा हुआ है। डीएमके ने यूपी सरकार से महिलाओं को उनके अधिकार देने का आग्रह किया।
महिला अधिकारों पर यूपी को लेकर डीएमके का हमला: संपत्ति के अधिकारों में देरी
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