अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो भारत को टैरिफ पर धमकी दे रहे थे, अब खुद ही मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। भारत के साथ खराब रिश्तों को लेकर वह अपने देश में ही नहीं, बल्कि बाहर से भी निशाने पर हैं। मास्को से लेकर ब्रासीलिया तक से उन्हें ऐसे संदेश मिल रहे हैं, जिसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी। बुधवार दोपहर तक यही सब चल रहा था। शाम होते-होते ट्रंप के लिए एक और बुरी खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन जाने वाले हैं। मास्को और ब्रासीलिया से मिले संदेशों और पीएम मोदी के दौरे के बाद सवाल उठता है कि क्या ट्रंप के खिलाफ एक बड़ा गठबंधन बनाने की तैयारी चल रही है?
**डोभाल के मास्को में कदम**
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल बुधवार को रूस की राजधानी मास्को पहुंचे। डोभाल की रूसी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय ऊर्जा और रक्षा संबंधों के साथ-साथ रूसी कच्चे तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों को लेकर भी चर्चा होगी। डोभाल की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर भारत के अमेरिका से संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। डोभाल के दौरे से पहले रूस के उप रक्षा मंत्री कर्नल जनरल अलेक्सांद्र फोमिन ने भारतीय दूत विनय कुमार से मुलाकात की थी। ऑपरेशन सिंदूर के बाद डोभाल का यह पहला मास्को दौरा है।
**भारत के साथ खड़ा है रूस**
भारत टैरिफ पर अमेरिका को कड़ा जवाब दे रहा है और ट्रंप के सामने झुकने को तैयार नहीं है। विदेश मंत्रालय दुनिया को अमेरिका की असलियत भी दिखा चुका है। 4 अगस्त को मंत्रालय ने दुनिया को बताया कि अमेरिका रूस के साथ क्या-क्या व्यापार करता है। भारत के इस रुख से ट्रंप बौखलाए हुए हैं। रूस भी पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा है। मास्को ने कहा कि क्रेमलिन भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है और ट्रंप की धमकियां रूस के साथ व्यापार संबंध समाप्त करने के लिए मजबूर करने का प्रयास हैं। रूस ने आगे कहा कि संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार, व्यापार और आर्थिक सहयोग में साझेदार चुनने का अधिकार होना चाहिए और उन्हें ऐसा करने का अधिकार है।
**ब्राजील के राष्ट्रपति पीएम मोदी से करेंगे बात**
मास्को के जवाब और डोभाल के दौरे से ट्रंप अभी उबर भी नहीं पाए थे कि ब्राजील के राष्ट्रपति ने उन्हें एक और झटका दे दिया। राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने ट्रंप के टैरिफ पर कहा कि ब्रासीलिया अपने हितों की रक्षा के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) सहित सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करेगा। उन्होंने यहां तक कहा कि वह टैरिफ पर चर्चा के लिए ट्रंप को फोन नहीं करेंगे, क्योंकि अमेरिकी नेता बात नहीं करना चाहते, लेकिन उन्होंने आगे कहा, ‘मैं शी जिनपिंग को फोन करूंगा, मैं प्रधानमंत्री मोदी को फोन करूंगा। मैं पुतिन को फोन नहीं करूंगा, क्योंकि वह अभी यात्रा नहीं कर सकते, लेकिन मैं कई राष्ट्रपतियों को फोन करूंगा।’ बता दें कि ब्राजील, भारत, रूस और चीन ब्रिक्स का हिस्सा हैं। ट्रंप इन देशों से चिढ़े रहते हैं। उनका दावा है कि ये चारों देश अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ पर बात करने के लिए लूला दा सिल्वा को ऑफर दिया था। उन्होंने कहा था कि लूला दा सिल्वा टैरिफ और दोनों देशों के बीच अन्य विवादों पर चर्चा के लिए कभी भी उनसे बात कर सकते हैं। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने लूला के बारे में कहा, ‘वह जब चाहें मुझसे बात कर सकते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि उन्हें ब्राजील के लोगों से बहुत लगाव है, लेकिन ब्राजील को चलाने वाले लोगों ने गलत काम किया है।
**पीएम मोदी जाएंगे चीन**
ट्रंप को चिढ़ाने वाली एक और जानकारी बुधवार शाम को आई। खबर आई कि पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन जाएंगे। 31 अगस्त-1 सितंबर को उनका यह दौरा है। चीन ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण भेजा था। प्रधानमंत्री का चीन दौरा 7 साल बाद हो रहा है। आखिरी बार जब चीन गए थे तब भी एससीओ का सम्मेलन ही था। पीएम का यह दौरा भारत और चीन की बढ़ती नजदीकियों को दर्शाता है। टैरिफ की लड़ाई के बीच खासतौर से टॉप भारतीय नेताओं का चीन दौरा बढ़ा है। जून में एनएसए अजित डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पड़ोसी मुल्क गए थे। इसके बाद जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन की यात्रा पर गए थे। इन तीन दिग्गजों के बाद अब पीएम मोदी की चीन यात्रा होने जा रही है।