
उत्तर प्रदेश में डॉ. शाहीन के द्वारा चलाए जा रहे एक भयावह आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वह कमजोर मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं को आत्मघाती हमलावर (Human Bombs) बनाने के लिए भर्ती और प्रशिक्षण दे रही थी। एजेंसियों को डॉ. शाहीन के डिलीट किए गए व्हाट्सएप चैट्स से इस खौफनाक साजिश का पता चला, जिसे ‘मुजाहिद जंगजू’ कोड नाम दिया गया था।
**भर्ती और प्रशिक्षण का तरीका:**
डॉ. शाहीन विशेष रूप से उन मुस्लिम महिलाओं को निशाना बना रही थी जो तलाकशुदा थीं या अपने परिवारों से बिछड़ गई थीं। इसके अलावा, 14 से 18 साल की लड़कियों को भी ब्रेनवाशिंग के लिए लक्षित किया जा रहा था। इन युवतियों को ‘मिशन काफिर’ के तहत कट्टरपंथी बनाकर आत्मघाती हमलों के लिए तैयार करने की पूरी जिम्मेदारी शाहीन की थी।
**आतंकवादी फंडिंग और वित्तीय नेटवर्क:**
जांच में डॉ. शाहीन, डॉ. आदिल, डॉ. आरिफ और डॉ. परवेज़ के खातों से पिछले सात सालों में 40 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन का खुलासा हुआ है। इन खातों में पैसे के व्यवस्थित प्रवाह का पता चला है, जिसमें अक्सर छोटे-छोटे कोडित रकमों का इस्तेमाल किया जाता था। यह भी सामने आया है कि गुप्त संदेशों के आदान-प्रदान के लिए बड़ी रकमों में एक रुपया अतिरिक्त जोड़कर भेजा जाता था, जो एक जटिल फंडिंग ऑपरेशन का संकेत देता है।
**नेटवर्क और संचालन संरचना:**
डॉ. शाहीन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आतंकी सेल का संचालन कर रही थी। उसने पांच-पांच डॉक्टरों की टीमें बनाई थीं, जिनका नेतृत्व ‘HOD’ (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) कोड नाम वाले लीडर्स कर रहे थे। ऑपरेशनल गोपनीयता बनाए रखने के लिए उसने संचार पर कड़ी निगरानी रखी। प्रत्येक टीम को दूसरी टीमों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जो स्लीपर सेल रणनीति का हिस्सा था। शाहीन के तार पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों से भी जुड़े पाए गए हैं, और आतंकी प्रशिक्षण व बम बनाने के वीडियो के आदान-प्रदान के सबूत मिले हैं।
यह खुलासा आतंकी साजिश की गहराई और जटिलता को दर्शाता है, जिसमें डॉ. शाहीन की भूमिका भारत के अंदर बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए कमजोर मुस्लिम युवतियों के शोषण के इर्द-गिर्द घूमती है।






