मानते हैं कि ‘दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है’. आजकल भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। तभी आयोग ने बीते छह महीनों में 30 ऐसे बदलाव किए हैं, जिनसे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता, स्पष्टता, सरलता और सटीकता आए।
ईवीएम में उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें और मोटे अक्षरों में नाम लिखे जाने से लेकर पोस्टल बैलट के बाद ही ईवीएम की गिनती पूरी करने के आयोग के फैसले भले ही छोटे लगते हों, पर हकीकत में बहुत अहम हैं।
बिल्कुल उसी तरह जैसे एक चींटी हाथी को धराशायी कर सकती है, तभी गजराज जमीन पर फूंक मारते हुए चलते हैं। वैसे ही आयोग, सूक्ष्म कमियों के नाम आरोपों की जमीन तैयार होने जैसी स्थितियों को इन निर्णयों से साफ कर रहा है।
आने वाले दिनों में बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, जहां विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत से ही चुनाव आयोग पर भारी-भरकम लांछन लगने लगे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया और आगे भी 7 अक्टूबर को सुनवाई है। ऐसे में आयोग पूरी सतर्कता के साथ हरेक उस पहलू पर कदम उठा रहा है, जिसको लेकर खासतौर विपक्षी राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए हैं या फिर पारदर्शिता और स्पष्टता लाने का सुझाव दिया है।
बिहार की बात आई है तो कवि बिहारी जी को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है जो 400 साल अपने एक दोहे में नसीहत दे गए कि ‘देखने में छोटे लगे, घाव करें गंभीर’।
चुनाव आयोग के गुरुवार को लिए गए निर्णय के नजरिए से देखें तो भावार्थ यह है कि पोस्टल बैलेट से जीत-हार का मार्जिन बहुत छोटा होता है, लेकिन बड़े आरोपों को आमंत्रण दे सकता है।
कई बार डाक मतपत्रों की गिनती सवालों के घेरे में आई है, जब जीत का अंतर बहुत कम रहा है। महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट में 2024 में उपचुनाव के दौरान भी पशोपेश की स्थितियां थीं, जब कांग्रेस सांसद दिवंगत वसंतराव चव्हाण की मौत के बाद उनके बेटे रविंद्र चव्हाण मात्र 1457 वोटों से विजयी हुए और उन्होंने भाजपा के संतुकराव हंबार्डे को हराया था। चव्हाण को 5 लाख 86 हजार 788 वोट और हंबार्डे को 5 लाख 85 हजार 331 वोट मिले थे।
नांदेड़ लोस उपचुनाव में कम मार्जिन से जीत की स्थितियां आने वाले दिनों सुरसा के मुख का रूप ले सकती हैं, क्योंकि आयोग ने ही दिव्यांगजनों और 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर से मतदान को मंजूरी दी है। इस पहल के मद्देनजर डाक मतपत्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
सेवा मतदाता इस सुविधा का लाभ पहले से ही उठा रहे थे। ऐसे में जरूरी ये है कि छोटे मार्जिन की जीत-हार की स्थिति में स्पष्टता रहे और पोस्टल बैलेट की गिनती के बाद ही जीतने-हारने वाले के प्रतिनिधि बाहर निकलें।
यही वजह है कि पोस्टल बैलेट के बाद ही ईवीएम की गिनती पूरा करने जैसे तकनीकी निर्णय लिया गया। बिहार विधान सभा चुनाव में आयोग के इस निर्णय को पहली बार लागू किया जाएगा, जहां ईवीएम/वीवीपीएटी की सेकेंड लास्ट राउंड की गिनती तभी शुरू होगी, जबकि पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी कर ली जाए। इसके अलावा भ्रम की स्थिति भी पैदा होती थी, खासतौर पर समय को लेकर, पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होती थी, इसके बाद ईवीएम की काउंटिंग और कई मौकों पर दोनों के बीच समय के अंतर को लेकर स्थितियां असमंजस में डालने वाली होती थीं।
पोस्टल बैलेट के पिछले नियमों को देखें तो उसके तहत पोस्टल बैलेट की गिनती से पहले ईवीएम की गिनती संभव थी, लेकिन अब डाक मतपत्रों की गिनती पूरी होने के बाद ही ईवीएम और वीवीपीएटी की गिनती पूरी की जाएगी।
आयोग का कहना है कि डाक मतपत्रों की गिनती के लिए नए दिशानिर्देश जारी करके चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस कदम का मकसद मतगणना प्रक्रिया में देरी को कम करना और स्पष्टता बढ़ाना है। इस निर्णय से मतगणना प्रक्रिया में एकरूपता और अत्यधिक स्पष्टता आने की उम्मीद है।
पोस्टल मतपत्र की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होगी और ईवीएम की गिनती 8:30 बजे, ताकि भ्रम की स्थिति न बने। हालांकि दोनों की गिनती एकसाथ जारी रहेगी, लेकिन ईवीएम/वीवीपीएटी की गिनती में डाक मतपत्रों की गिनती की तुलना में बहुत ही कम समय लगता है। ऐसे में ईवीएम/वीवीपीएटी की दूसरे अंतिम चरण की गिनती तभी शुरू होगी, जबकि डाक मतपत्रों की गिनती पूरी हो जाएगी। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए घर से मतदान की सुविधा बढ़ने के कारण डाक मतपत्रों की संख्या अधिक है, इसलिए अधिक टेबल और स्टाफ तैनात किया जाएगा।
दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) और 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर से मतदान जैसी हालिया पहलों के कारण डाक मतपत्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए, चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया है।
सुचारू मतगणना प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए, चुनाव आयोग ने रिटर्निंग अधिकारियों (RO) को निर्देश दिया है कि वे पर्याप्त टेबल और मतगणना कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, खासकर उन मामलों में जहां डाक मतपत्रों की संख्या अधिक हो।
यह कदम चुनाव प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाने के लिए पिछले छह महीनों में चुनाव आयोग द्वारा की गई 30वीं पहल है। भारत निर्वाचन आयोग ने पहले ही विभिन्न उपायों को लागू कर दिया है, जिनमें मतदाताओं के लिए मोबाइल जमा सुविधाएं, मतदान केंद्रों की वेबकास्टिंग और प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग शामिल है।