प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बड़ा खुलासा किया है। ईडी के अनुसार, प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने गुरुग्राम में एक भूमि सौदे में कथित तौर पर 58 करोड़ रुपये की अपराध से कमाई की। ईडी ने वाड्रा और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र में कहा कि 53 करोड़ रुपये स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के माध्यम से और 5 करोड़ रुपये ब्लू ब्रीज ट्रेडिंग के माध्यम से भेजे गए।
जांच के दौरान, रॉबर्ट वाड्रा ने तीन दिवंगत व्यक्तियों पर घोटाले का आरोप लगाया। ईडी ने गुरुग्राम भूमि सौदे की जांच के दौरान वाड्रा से दो बार बयान लिए, पहला 15 अप्रैल और दूसरा 16 अप्रैल 2025 को। पूछताछ के दौरान, वाड्रा ने सवालों के सीधे जवाब देने से बचते हुए, जिम्मेदारी तीन दिवंगत व्यक्तियों—एचएल पाहवा, राजेश खुराना और महेश नागर—पर डाल दी। ईडी ने जब सबूत मांगे तो वाड्रा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाए।
ईडी सूत्रों का दावा है कि वाड्रा ने अपनी कंपनियों स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्रा लि और BBTPL के माध्यम से लगभग 58 करोड़ रुपये गलत तरीके से कमाए। इस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी और संपत्तियां खरीदने में किया। संघीय एजेंसी के अनुसार, वाड्रा ने अपराध से प्राप्त धन का उपयोग अचल संपत्तियां खरीदने, निवेश करने और ऋण देने के लिए किया। इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न समूह कंपनियों के देनदारियों का निपटान करने के लिए भी इस आय का इस्तेमाल किया।
ईडी ने बताया कि जांच के परिणामस्वरूप 43 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया, जिनकी कुल कीमत 38.69 करोड़ रुपये है। इन संपत्तियों में राजस्थान के बीकानेर में जमीन, गुरुग्राम के गुड अर्थ सिटी सेंटर में इकाइयां, मोहाली के बेस्टेक बिजनेस टॉवर में इकाइयां और अहमदाबाद के जय अम्बे टाउनशिप में आवासीय इकाइयां शामिल हैं।
ईडी ने पीएमएलए की धारा 4 के तहत आरोपियों के लिए अधिकतम सात साल की जेल और संपत्तियों को जब्त करने की सजा की मांग की है। शिकोहपुर जमीन घोटाले से जुड़े इस मामले में वाड्रा, सत्यानंद याजी, केवल सिंह विर्क और कई कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 1 सितंबर 2018 को हरियाणा पुलिस ने गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने कम पूंजी होने के बावजूद 3.5 एकड़ जमीन सिर्फ 7.50 करोड़ रुपये में खरीदी, जबकि असली कीमत 15 करोड़ रुपये थी।
सेल डीड में झूठी जानकारी दी गई थी और स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए भी गलत जानकारी दी गई थी। आरोप है कि यह जमीन रॉबर्ट वाड्रा के प्रभाव के बदले में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को तत्कालीन सीएम से हाउसिंग लाइसेंस दिलाने के लिए दी गई थी। बाद में जमीन का कमर्शियल लाइसेंस लेकर इसे डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।
ईडी के अनुसार, रॉबर्ट वाड्रा को इस सौदे से 58 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसका इस्तेमाल उन्होंने संपत्तियां खरीदने, निवेश करने और कंपनियों के कर्ज चुकाने में किया। ईडी ने 38.69 करोड़ रुपये मूल्य की 43 अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से जब्त की हैं। आरोप साबित होने पर 3 से 7 साल की सज़ा और अवैध संपत्ति जब्त की जा सकती है।