चुनाव आयोग बुधवार, 10 सितंबर को देशभर में मतदाता सूची की समीक्षा (एसआईआर) शुरू करने की योजना को अंतिम रूप देगा। इसके लिए, चुनाव आयोग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) के साथ बैठक करने जा रहा है। कहा जा रहा है कि बैठक में आने वाले महीनों में विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक का उद्देश्य आगामी चुनावों को सुचारू और विश्वसनीय तरीके से आयोजित करना है। बैठक में मतदाता सूची की समीक्षा, आचार संहिता का पालन, तकनीकी सुधार और पारदर्शिता जैसे विषय एजेंडे में शामिल हैं।
जून में ही आयोग ने सीईओ को निर्देश दिया था कि बिहार के बाद, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी मतदाता सूची की समीक्षा पर काम आगे बढ़ाया जाए, जिसकी रूपरेखा तैयार करने का निर्देश सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव अधिकारियों (सीईओ) को जून में ही दिया गया था। बैठक की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार करेंगे।
चुनाव आयोग की कल होने वाली इस बैठक में सभी सीईओ अपने-अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति पर रिपोर्ट देंगे। रिपोर्ट में मतदाताओं की संख्या, पिछली गहन समीक्षा की जानकारी और संशोधन की मौजूदा स्थिति शामिल होगी। रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग एसआईआर कराने के कदम को कब और कहां उठाया जाए, इस पहलू को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
2003 के बाद से गहन संशोधन नहीं हुआ है। चुनाव आयोग के आदेश के बाद ही राज्यों में एसआईआर कराने की अंतिम समय सीमा तय की जाएगी। यह बैठक दिल्ली के द्वारका स्थित चुनाव आयोग के इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में बुधवार सुबह 10 बजे से शुरू होगी।
इससे पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि साल 2003 के बाद से ही वोटर लिस्ट में गहन संशोधन (इंटेंसिव रिवीजन) नहीं हुआ है। शहरीकरण और पलायन की वजह से वोटर लिस्ट में डुप्लीकेट नामों की आशंका बढ़ गई है। इसलिए हर व्यक्ति के नामांकन से पहले गहन सत्यापन किया जाना जरूरी है। खास बात यह है कि हर साल वोटर लिस्ट में संशोधन किया जाता है, लेकिन इस बार पूरी सूची नए सिरे से तैयार की जा रही है।
बिहार में चुनाव से ठीक पहले इस एसआईआर प्रक्रिया को पहले ही लागू किया गया था। वहां नए एन्यूमरेशन फॉर्म और 11 दस्तावेजों की लिस्ट जारी की गई थी। सभी मौजूदा मतदाताओं को फॉर्म भरना पड़ा और साल 2003 के बाद जुड़े नामों के लिए पात्रता दस्तावेज देना अनिवार्य बनाया गया था। अब यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए आधार बनेगा। बिहार की चली लंबी प्रक्रिया के बाद फाइनल वोटर लिस्ट इस महीने के अंत में 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।