भारतीय सशस्त्र बलों ने पश्चिमी सीमा पर ‘त्रिशूल’ नामक एक बड़े सैन्य अभ्यास का आयोजन किया है, जो 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चलेगा। यह संयुक्त अभ्यास भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्वय और अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। श्री क्रीक सीमा के पास केंद्रित यह अभ्यास, विभिन्न इलाकों और मिशनों में एकीकृत अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम देने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
‘त्रिशूल’ अभ्यास का मुख्य लक्ष्य तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को मजबूत करना और उन्हें एक साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार करना है। यह ‘जय’ – यानी संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और नवाचार की भावना को मजबूत करता है। यह अभ्यास इस बात का भी प्रमाण है कि भारतीय सेनाएं भविष्य के युद्धों के लिए खुद को तकनीकी रूप से सक्षम और तैयार कर रही हैं, ताकि वे किसी भी बहु-डोमेन वातावरण में दुश्मन को रोकने और हराने में सक्षम हों।
यह अभ्यास पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर श्री क्रीक क्षेत्र में जहां पाकिस्तान अपनी सैन्य अवसंरचना का विस्तार कर रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि पाकिस्तान इस क्षेत्र में कोई ‘गलत कदम’ उठाने की कोशिश करता है, तो उसे भारत की ओर से एक निर्णायक प्रतिक्रिया मिलेगी, जो इतिहास और भूगोल दोनों को बदल देगी। यह अभ्यास भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।





