2017 में, प्रधान मंत्री मोदी ने डोमरी गांव को गोद लिया था, लेकिन आज उसी डोमरी में लगभग सौ परिवार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। नगर निगम ने डोमरी की साढ़े तीन सौ बीघे सरकारी जमीन पर वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया है। वृक्षारोपण से पहले, नगर निगम ने वहां से कब्ज़ा हटाने की कार्रवाई भी की है। इस कार्रवाई के बाद से नगर निगम और डोमरी के लोगों के बीच सीधा संघर्ष शुरू हो गया है। डोमरी के सौ परिवारों के लिए यह अस्तित्व का मामला बन गया है। आज से, डोमरी के लोग धरने पर बैठ गए हैं।
डोमरी के अरविंद साहनी ने बताया कि वे तीन पीढ़ियों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं, और बिना किसी नोटिस या बातचीत के, नगर निगम इसे सरकारी जमीन बताकर 2 अक्टूबर को यहां वृक्षारोपण करने जा रहा है।
यहां निषाद (साहनी), राजभर और पटेल समाज के लगभग सौ परिवार हैं, जिनके पास जमीन की रजिस्ट्री के कागजात और खतौनी सब हैं, लेकिन नगर निगम के लोगों ने बिना कागजात देखे या कोई बात किए कुछ मकान तोड़ दिए और सामान बाहर फेंक दिया। महिलाओं के साथ गाली-गलौज की और अभद्रता की।
मल्लू नाम के एक युवक ने बताया कि वे इसी जमीन से परिवार के लिए रोज़ी-रोटी कमाते हैं। अब उस पर भी आफत है। 1356 फसली में उनका नाम है, और वे जबरदस्ती कर रहे हैं कि यह सरकारी जमीन है।
कुशल कश्यप बताते हैं कि वे लोग सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। जब प्रधानमंत्री मोदी ने गांव को गोद लिया था, तो एक उम्मीद थी कि उनके भी अच्छे दिन आएंगे और उनके लिए भी विकास के रास्ते खुलेंगे, लेकिन विकास तो छोड़िए, अब प्रशासन उन्हें उजाड़ने पर आमादा है। अभी 150 महिलाएं और तीन सौ पुरुष धरने पर बैठे हैं, और यह धरना ऐसे ही जारी रहेगा जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती।
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने कहा कि वह जमीन सरकारी दस्तावेजों में रेता (रेत वाला इलाका) है और सरकारी जमीन है। आने वाले 2 अक्टूबर को एक घंटे में वहां तीन लाख पेड़ लगाए जाने हैं। उस पूरे इलाके का चिह्नांकन भी कर लिया गया है। वह सरकारी जमीन है और जो लोग वहां काबिज हैं, वे अवैध कब्ज़ा किए हैं।
समाजवादी पार्टी ने नगर निगम के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है, जिसमें कहा गया है कि वह नगर निगम की जमीन है और वहां तीन लाख पेड़ लगाएगा। समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने कहा कि लोगों को उजाड़कर वे कौन सा विकास करना चाहते हैं। यदि उस जमीन पर वृक्षारोपण करना ही है, तो लोगों को पर्याप्त मुआवजा देकर वहां वृक्षारोपण करें।