बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 24 घंटे के भीतर उनके खिलाफ दो राज्यों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। यह मामला प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने से जुड़ा है। तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर एक कार्टून साझा किया था जिसमें मोदी की गया रैली को ‘जुमलों की दुकान’ बताया गया था। इसी को लेकर यूपी और महाराष्ट्र में केस दर्ज हुआ है।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से बीजेपी विधायक मिलिंद रामजी नरोटे की शिकायत पर राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ केस दर्ज किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किया। गढ़चिरौली पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ है। इन मामलों के कारण तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
यूपी के शाहजहांपुर में भी भारतीय जनता पार्टी की महानगर अध्यक्ष शिल्पी गुप्ता की शिकायत पर तेजस्वी यादव के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ तेजस्वी यादव की अमर्यादित टिप्पणी से पूरा देश गुस्से में है।
तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक कार्टून शेयर किया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गया रैली को ‘बयानबाजी की दुकान’ बताया गया था। रैली से पहले एक्स पर शेयर किए गए इस पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी को एक दुकानदार के रूप में दिखाया गया था। दुकान के साइन बोर्ड पर लिखा था, ‘बयानबाजी की मशहूर दुकान।’ पोस्ट में, तेजस्वी यादव ने मोदी से बिहार में एनडीए के 20 सालों के साथ-साथ अपने 11 साल के शासन का हिसाब देने को कहा था।
तेजस्वी यादव ने लिखा था कि आज गया में झूठ और बयानबाजी की दुकान सजेगी! प्रधानमंत्री जी, गया में आप बेढंगी जुबान से आज झूठ और बयानबाजी का हिमालय खड़ा करेंगे, लेकिन बिहार की न्यायप्रिय जनता दशरथ मांझी की तरह आपके झूठ और बयानबाजी के इन विशाल पहाड़ों को ढहा देगी। अपने 11 साल और एनडीए सरकार के 20 सालों के शासन का हिसाब दो?’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गया की जनसभा में आरजेडी पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि एक समय था जब ‘लालटेन राज में यहां कैसी दुर्दशा थी। लालटेन राज में ये इलाका लाल आतंक से जकड़ा था। माओवादियों के कारण शाम के बाद कहीं आना-जाना मुश्किल था। लालटेन राज में गयाजी जैसे शहर अंधेरे में डूबे रहते थे। इनकी सरकारों ने जनता के पैसों का मोल कभी नहीं समझा, इनके लिए जनता के पैसों का मतलब खुद की तिजोरी भरना था।