आंध्र प्रदेश में एक बड़े वन भूमि अतिक्रमण का मामला सामने आया है, जिसमें मंगलमपेटा रिजर्व फ़ॉरेस्ट के अंदर 76.74 एकड़ ज़मीन पर अवैध कब्जे का खुलासा हुआ है। यह ज़मीन कथित तौर पर पूर्व वन मंत्री और वरिष्ठ वाईएसआरसीपी नेता प direccionि रामचन्द्र रेड्डी से जुड़ी बताई जा रही है।

29 जनवरी 2025 को मीडिया में गंभीर आरोपों के प्रकाशन के बाद, राज्य सरकार ने तत्काल एक उच्च-स्तरीय तीन-सदस्यीय समिति का गठन किया। इस समिति में ज़िला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और वन संरक्षक शामिल थे, जिन्हें विस्तृत संयुक्त निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया था। वन, राजस्व और भूमि अभिलेख विभागों द्वारा किए गए कई संयुक्त सर्वेक्षणों ने अब स्पष्ट, दस्तावेज़-आधारित उल्लंघनों का खुलासा किया है।
सरकारी संयुक्त सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष:
* **वैध सीमा से परे अवैध विस्तार:** 1968 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, खेती के लिए केवल 75.74 एकड़ भूमि की अनुमति थी। हालाँकि, प direccionि के परिवार से जुड़ी भूमियों को 103.98 एकड़ के एक ब्लॉक में घेर दिया गया, जिसमें 32.63 एकड़ रिजर्व फ़ॉरेस्ट भूमि को अवैध रूप से आत्मसात कर लिया गया। निजी बाड़ के अंदर 26 में से 15 वन सीमा स्तंभ पाए गए, जो जानबूझकर अतिक्रमण का पुख्ता सबूत हैं।
* **वन भूमि का निजी संपत्ति में अवैध रूपांतरण:** चार पट्टेदारों की भूमि को एक ही बाड़ का उपयोग करके वन भूमि के साथ मिला दिया गया। अतिक्रमणित वन क्षेत्र का उपयोग बागवानी खेती के लिए किया गया, जो ए.पी. फ़ॉरेस्ट एक्ट, 1967 के तहत दंडनीय अपराध है।
* **रिजर्व फ़ॉरेस्ट के अंदर अवैध बोरवेल:** रिजर्व फ़ॉरेस्ट के अंदर एक बोरवेल खोदा गया था और पानी को अवैध रूप से कब्जे वाली भूमि में पहुँचाया जा रहा था। यह वन संसाधनों के दुरुपयोग और आपराधिक उल्लंघन का मामला है।
* **वन संपदा को नुकसान:** वन संरक्षण एवं संवर्धन नियम, 2023 के तहत वैज्ञानिक मूल्यांकन के अनुसार, वन क्षति का अनुमान 1,26,52,750 रुपये आँका गया है।
आपराधिक मामला दर्ज:
आरोपी के खिलाफ ए.पी. फ़ॉरेस्ट एक्ट, 1967 की धारा 20(1)(c)(ii)(iii)(vii)(x) और 58, तथा बीएनएस की धारा 61(2) के तहत पी.ओ.आर. नंबर 3/2025 दर्ज किया गया है। 05.05.2025 को एक प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत की गई।
भूमि दस्तावेजों का अभाव:
14 मई 2025 को बी.एन.एस.एस. धारा 94 के तहत जारी नोटिसों में आरोपियों से भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड जमा करने को कहा गया था। कोई दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे अतिक्रमण की पुष्टि होती है।
वन विभाग द्वारा भूमि की पुनः प्राप्ति:
28 मई 2025 तक, राजपत्र के अनुसार सीमा स्तंभों का पुनर्निर्माण किया गया और 32.63 एकड़ भूमि को आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया गया। अतिक्रमणित भूमि पर लगे 560 पेड़ों (533 आम, 26 जामुन, 1 नारियल) को जब्त कर लिया गया।
उप मुख्यमंत्री द्वारा जांच के आदेश:
उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने हवाई सर्वेक्षण छवियों और फील्ड निरीक्षण रिपोर्टों की समीक्षा के बाद अतिक्रमणित वन क्षेत्र का दौरा किया। बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू को ब्रीफ किया और इस मुद्दे को हल करने के लिए कड़े निर्देश जारी किए।
उपमुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश:
* सभी वन भूमि अतिक्रमियों के नामों को सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए।
* प्रत्येक अतिक्रमण का विवरण, जिसमें भूमि की सीमा और वर्तमान मामले की स्थिति शामिल है, सार्वजनिक किया जाए।
* वन भूमि हड़पने में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ, बिना किसी अपवाद के, कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
* फूला हुआ वेबलैंड (Webland) प्रविष्टियों और ‘पैतृक भूमि’ के झूठे दावों की जांच की जाए।
* निगरानी रिपोर्टों पर निर्णायक कार्रवाई की जाए।
* छेड़छाड़ और हेरफेर को रोकने के लिए सभी भूमि अभिलेखों को डिजिटल किया जाए।
कल्याण ने इस बात पर जोर दिया कि वन भूमि राष्ट्रीय संपत्ति है और घोषणा की कि किसी भी व्यक्ति को, चाहे उसकी राजनीतिक स्थिति या प्रभाव कुछ भी हो, संरक्षित वन क्षेत्रों का उल्लंघन या विनाश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।





