केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत से विदेश में बैठकर देश की अर्थव्यवस्था, संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने वाले भगोड़ों के लिए भारतीय कानूनी व्यवस्था का भय पैदा करने पर जोर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि प्रत्येक राज्य में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाली विशेष जेलें स्थापित की जानी चाहिए और इंटरपोल रेड नोटिस जारी होने के बाद ऐसे भगोड़ों के पासपोर्ट तुरंत रद्द कर दिए जाने चाहिए।
गुरुवार को CBI द्वारा आयोजित ‘भगोड़ों का प्रत्यर्पण – चुनौतियाँ और रणनीतियाँ’ सम्मेलन में बोलते हुए शाह ने कहा कि जब तक हम विदेश में बैठे देशद्रोहियों के मन में भारतीय न्याय प्रणाली का खौफ पैदा नहीं करेंगे, तब तक देश की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कई भगोड़े विदेशी अदालतों में प्रत्यर्पण का विरोध करने के लिए भारतीय जेलों की ‘खराब स्थिति’ का हवाला देते हैं।
शाह ने कहा कि मौजूदा तकनीक से यह मुश्किल नहीं है। जब भी किसी भगोड़े के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस जारी हो, तो उसका पासपोर्ट तुरंत रद्द कर दिया जाना चाहिए। इससे न केवल उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर रोक लगेगी, बल्कि उन्हें प्रत्यर्पित होने से रोकने की उनकी दलीलों को भी कमजोर करेगा।
गृह मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि भगोड़ों के लिए एक वैज्ञानिक डेटाबेस तैयार किया जाना चाहिए, जिसमें उनके अपराध की प्रकृति, वर्तमान स्थान, देश के भीतर उनके नेटवर्क और प्रत्यर्पण प्रयासों की स्थिति जैसी जानकारी शामिल हो। यह डेटाबेस सभी राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने प्रत्येक राज्य को अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली विशेष जेलें बनाने का आग्रह किया। इसका मुख्य उद्देश्य यह होगा कि विदेशी अदालतें भारतीय जेलों के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप न होने या मानवाधिकारों के उल्लंघन की दलील देकर प्रत्यर्पण को टालने का बहाना न बना सकें। शाह ने स्पष्ट किया कि भले ही वह भारतीय जेलों की स्थिति पर ऐसी दलीलों से सहमत न हों, लेकिन भगोड़ों को ऐसा अवसर नहीं दिया जाना चाहिए।