नई पीढ़ी, यानि जेन ज़ेड (Gen Z), कार्यस्थल पर अपनी महत्वाकांक्षाओं को नए सिरे से परिभाषित कर रही है। रॉबर्ट वॉल्टरर्स (Robert Walters) द्वारा किए गए एक वैश्विक सर्वेक्षण से पता चला है कि यह युवा पीढ़ी अब पारंपरिक ‘बॉस’ या मैनेजर बनने की कुर्सी के बजाय व्यक्तिगत विकास और विशेषज्ञता को अधिक महत्व दे रही है। इस नई सोच को ‘कॉन्शियस अनबॉसिंग’ (conscious unbossing) का नाम दिया जा रहा है, जिसका अर्थ है कि वे जानबूझकर प्रबंधकीय भूमिकाओं से दूरी बना रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, 52% जेन ज़ेड कर्मचारी मैनेजर बनने की इच्छा नहीं रखते हैं। वे मानते हैं कि मध्य-प्रबंधक (middle-management) की भूमिकाओं में अत्यधिक तनाव और बहुत कम प्रतिफल मिलता है। 69% युवा पेशेवरों का मानना है कि मैनेजर बनने में काफी दबाव होता है और उसके बदले मिलने वाला लाभ बहुत कम है। इसके विपरीत, 72% जेन ज़ेड कर्मचारी नेतृत्व की जिम्मेदारियां संभालने के बजाय एक व्यक्तिगत योगदानकर्ता (individual contributor) के रूप में आगे बढ़ना पसंद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, क्योंकि 89% कंपनियां अभी भी मध्य-प्रबंधकों को संगठनात्मक ढांचे और प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण मानती हैं।
लगभग 63% युवा कर्मचारी महसूस करते हैं कि उनकी कंपनियां प्रबंधकीय भूमिकाओं को अत्यधिक महत्व देती हैं। वे टीम का नेतृत्व करने की तुलना में स्वायत्तता (autonomy) और लचीलेपन (flexibility) को अधिक तरजीह देते हैं। इस बढ़ते अंतर को पाटने के लिए, कई संगठन ‘दोहरी करियर ट्रैक’ (dual career track) मॉडल पर विचार कर रहे हैं। इसके तहत, कर्मचारियों को या तो प्रबंधक के रूप में या बिना पर्यवेक्षी कर्तव्यों के विशेषज्ञ के रूप में प्रगति करने का अवसर मिलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जेन ज़ेड नेतृत्व से बच नहीं रहा है, बल्कि वे नेतृत्व के नए रूप की तलाश कर रहे हैं। यह नया नेतृत्व लोगों के प्रबंधन के बजाय नवाचार, रचनात्मकता और परियोजना स्वामित्व पर केंद्रित है।
यह पीढ़ीगत बदलाव केवल कार्यस्थल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके जीवन जीने के तरीकों को भी प्रभावित कर रहा है। मालदीव ने हाल ही में एक सख्त कानून पेश किया है, जो 1 जनवरी 2007 के बाद पैदा हुए लोगों के लिए धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाता है। 1 नवंबर से प्रभावी यह नियम मालदीव को इस पीढ़ी के लिए तंबाकू की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश बनाता है। उल्लंघन करने वालों, जिनमें नाबालिगों को बेचने वाले विक्रेता शामिल हैं, को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।




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