प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना है, जिसे साकार करने के लिए देश लगातार आगे बढ़ रहा है। केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह के नेतृत्व में, टेक्सटाइल सेक्टर भी इस विजन को आगे बढ़ाते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जहां 2014 में यह 112 बिलियन डॉलर का था, जो अब बढ़कर 179 बिलियन डॉलर हो गया है।
यह क्षेत्र अब 4.6 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का आधार बन गया है। टेक्निकल टेक्सटाइल, जो पहले एक ‘साइलेंट कॉर्नर’ माना जाता था, अब 26 बिलियन डॉलर के बाजार के साथ आत्मनिर्भरता की रीढ़ बन रहा है, जिसके 2030 तक 40-45 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। भारत 200 से अधिक देशों को कपड़े निर्यात करता है, जिसमें रेडीमेड गारमेंट्स का निर्यात भी शामिल है, जो 2013 में 14 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 18 बिलियन डॉलर हो गया है।
तिरुपुर क्लस्टर ने पिछले साल के मुकाबले 20% की वृद्धि हासिल की और 40,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया। सरकार ने कॉटन पर इम्पोर्ट ड्यूटी की छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है, जिससे उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। कपड़ा मंत्रालय एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रहा है, जिसमें एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम और PLI स्कीम में बदलाव शामिल हैं। जीएसटी सुधारों के माध्यम से टेक्सटाइल सेक्टर को मजबूत किया जा रहा है, जिससे एक्सपोर्ट और डोमेस्टिक कंजम्पशन दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को गति दे रही है और नए बाजारों की तलाश पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भारत का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें जर्मनी, फ्रांस और जापान जैसे देशों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। FTA, विशेष रूप से UAE-CEPA और ऑस्ट्रेलिया-ECTA, नए अवसर खोल रहे हैं। भारत की टेक्सटाइल शक्ति का दशक आने वाला है, जहां नए बाजार तलाशने और वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान हासिल करने पर जोर दिया जा रहा है।