बरेली में ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान को लेकर हुए विवाद और पुलिस कार्रवाई पर सियासत गरमा गई है। कई संगठनों और अधिकार समूहों ने पुलिस की इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसे मुस्लिम समुदाय को डराने और विरोध प्रदर्शनों को दबाने का प्रयास बताया है। इस बीच, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि मस्जिदें नमाज़ के लिए होती हैं, सड़कों पर हिंसा के लिए नहीं।
सहारनपुर में पत्रकारों से बात करते हुए, मसूद ने मुसलमानों से अपील की कि वे पैगंबर मोहम्मद के सिद्धांतों का पालन करके उनके प्रति प्रेम व्यक्त करें, न कि सड़कों पर हंगामा करके।
मसूद का यह बयान मौलाना तौकीर रजा की उस अपील के बाद आया है, जिसमें उन्होंने लोगों को ‘आई लव मोहम्मद’ के खिलाफ देशभर में हो रही कार्रवाई के विरोध में डीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपने के लिए शहर के इस्लामिया ग्राउंड बुलाया था। इस्लामिया ग्राउंड जा रहे लोगों को पुलिस ने रास्ते में ही रोक दिया, जिसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो गए थे।
इमरान मसूद ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद इस्लामिया ग्राउंड के लिए निकली भीड़ पर बोलते हुए कहा, “मस्जिदें नमाज़ के लिए होती हैं, सड़क पर हिंसा के लिए नहीं। हर मुसलमान मोहम्मद से प्रेम करता है और इसे व्यक्त करने के लिए हंगामा करने की कोई ज़रूरत नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “मैं मोहम्मद से प्रेम करता हूं। मोहम्मद मेरे जीवन का उद्देश्य हैं। सच्चा प्रेम उनके सिद्धांतों और आदर्शों का पालन करने में है, न कि सड़कों पर हंगामा करने में।”
‘आई लव मोहम्मद’ अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के कानपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनरों को लेकर शुरू हुई पुलिस कार्रवाई के बाद हुई थी। यह कार्रवाई कानपुर में बारावफात के जुलूस के दौरान दर्ज की गई एक एफआईआर के बाद शुरू हुई थी, जहां पुलिस ने ‘आई लव मोहम्मद’ का बैनर लगाने पर मामला दर्ज किया था। पुलिस के इस कदम के विरोध में ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान देश के कई शहरों में फैल गया, जिसके बाद पुलिस ने और शिकायतें दर्ज की हैं और दर्जनों गिरफ्तारियां हुई हैं।
कांग्रेस नेता ने ‘आई लव मोहम्मद’ अभियान के दौरान हुई झड़पों का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह किसी भी हालत में उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद ने हिंसा का नहीं, बल्कि मानवता का उपदेश दिया था और इसे रोका जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मौलानाओं को भी आगे आकर इसे रोकना चाहिए।
दशहरा पर एक सवाल के जवाब में मसूद ने कहा कि यह त्योहार सत्य की विजय का प्रतीक है, लेकिन न्याय की देवी की आंखों पर से पट्टी हटा दी गई है। उन्होंने कहा कि जो लोग अपनी आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
बरेली पुलिस ने मौलाना तौकीर रजा को सात अन्य लोगों के साथ शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। एक दिन पहले उन्हें आठ अन्य लोगों के साथ घर में नजरबंद रखा गया था। वहीं पुलिस ने शुक्रवार को हुई हिंसा के खिलाफ जिलेभर के विभिन्न थानों में 10 एफआईआर दर्ज की हैं। अधिकारियों के मुताबिक हर एफआईआर में 150-200 लोगों के नाम हैं, तथा सामूहिक रूप से सैकड़ों लोगों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।