अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के भारत पर ‘जल हथियार’ का इस्तेमाल करने और सिंधु जल संधि के उल्लंघन के आरोपों को भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने इन दावों को निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने स्वयं संधि का दुरुपयोग किया है।
दोहा, कतर में विश्व सामाजिक विकास शिखर सम्मेलन में भारत के श्रम और रोजगार मंत्री, मनसुख मंडाविया ने पाकिस्तान की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “हम पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा कल भारत के संबंध में की गई कुछ अनुचित टिप्पणियों पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हैं।” मंडाविया ने आगे कहा कि जरदारी की सिंधु जल संधि और कश्मीर पर की गई टिप्पणियाँ “अंतरराष्ट्रीय मंच के दुरुपयोग का प्रयास है, जिसका उद्देश्य भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाकर दुनिया का ध्यान सामाजिक विकास से भटकाना है।”
सिंधु जल संधि, जो 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी, दोनों देशों के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। इसके तहत भारत पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलज) और पाकिस्तान पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का उपयोग करता है। मंडाविया ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा संधि का सम्मान करता रहा है, लेकिन पाकिस्तान ने इसके मूल भावना को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने लगातार शत्रुता और सीमा पार आतंकवाद के माध्यम से संधि की भावना को कमजोर किया है और भारत की वैध परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए संधि तंत्र का दुरुपयोग किया है।
कश्मीर पर पाकिस्तान की टिप्पणियों को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया। मंत्री ने दोहराया कि जम्मू और कश्मीर भारत का एक आंतरिक मामला है और इस पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है, खासकर तब जब वह भारत के नागरिकों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है। मंडाविया ने पाकिस्तान को अपनी आंतरिक विकास समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत पिछले 10 वर्षों में लगभग 250 मिलियन भारतीयों को बहुआयामी गरीबी से बाहर निकालकर ‘सबका साथ, सबका विकास’ की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है, जिसमें डिजिटल नवाचार और कल्याणकारी योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।
पाकिस्तान द्वारा ‘जल हथियार’ का दावा, भारत के जवाब के बाद विवाद का विषय बन गया है। जरदारी ने एक दिन पहले ही भारत पर संधि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास बताया है।




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