भारत का सबसे महत्वाकांक्षी रक्षा सपना अब साकार हो रहा है। देश का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट, जिसे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के नाम से जाना जाएगा, दुनिया के सबसे उन्नत युद्धक विमानों को टक्कर देने के लिए तैयार है। इस प्रतिष्ठित क्लब में शामिल होने वाले देशों में अमेरिका (F-22, F-35), चीन (J-20) और रूस (Su-57) पहले से मौजूद हैं।
एल एंड टी (Larsen & Toubro) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के संयुक्त उद्यम ने इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए डायनामिक टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (DTL) को अपना विशेष भागीदार बनाया है। यह गठबंधन भारत की घरेलू प्रौद्योगिकी के साथ सुपरसोनिक स्टील्थ लड़ाकू विमान को डिजाइन और निर्मित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि भारतीय एयरोस्पेस क्रांति में अब निजी क्षेत्र भी अहम भूमिका निभा रहा है, जो पहले सरकारी कंपनियों का गढ़ था।
परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, DTL के तीन दशक के एयरोस्ट्रक्चर और सब-सिस्टम के अनुभव को L&T की इंजीनियरिंग क्षमता और BEL की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञता के साथ जोड़ा जाएगा। यह तिकड़ी मिलकर एक ऐसा लड़ाकू मंच तैयार करेगी जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ विमानों को चुनौती दे सके।
L&T प्रिसिजन इंजीनियरिंग एंड सिस्टम्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने कहा, “डायनामिक टेक्नोलॉजीज को इस कंसोर्टियम में विशेष भागीदार के रूप में शामिल करने से हमारे मिशन में अभूतपूर्व फुर्ती और सटीकता आएगी। यह साझेदारी अगली पीढ़ी के लड़ाकू जेट बनाने के साथ-साथ भारतीय एयरोस्पेस औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से परिभाषित करने के बारे में भी है।” DTL के सीईओ और एमडी उदयंत मल्होत्रा ने भी इस साझेदारी की पुष्टि करते हुए कहा, “हम पिछले तीन दशकों से सुपरसोनिक विमान संरचनाओं के निर्माण में सबसे आगे रहे हैं।”
AMCA को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जाएगा। यह सिंगल-सीट, ट्विन-इंजन वाला स्टील्थ जेट होगा जो कम रडार दृश्यता और अधिकतम चपलता के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह F-22, F-35 और Su-57 की तरह अपने मुख्य हथियारों को आंतरिक बे में रखेगा, जिससे यह रडार से अदृश्य बना रहेगा। इसकी परिचालन सीमा 55,000 फीट तक होगी और यह आंतरिक रूप से 1,500 किलोग्राम और बाहरी रूप से 5,500 किलोग्राम हथियार ले जा सकेगा।
AMCA के दो संस्करण होंगे: पहला अमेरिकी GE F414 इंजन से संचालित होगा, जबकि दूसरा, जो इस दशक के अंत में अपेक्षित है, पूरी तरह से स्वदेशी इंजन द्वारा संचालित होगा। यह विमान सुपरमैन्युवरेबल मल्टीरोल फाइटर होगा, जो आसमान पर हावी होने और दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला करने में सक्षम होगा। सुपरमैन्युवरेबिलिटी का मतलब है कि विमान जटिल हवाई युद्धाभ्यास कर सकता है जो सामान्य लड़ाकू विमान नहीं कर सकते। स्टील्थ तकनीक इसे रडार पर पता लगाना बेहद मुश्किल बना देगी।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों में उच्च गतिशीलता, उन्नत रडार-विरोधी डिजाइन और स्मार्ट युद्धक्षेत्र एकीकरण जैसी विशेषताएं होती हैं। AMCA में एक “इलेक्ट्रॉनिक पायलट” भी होगा जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) द्वारा संचालित होगा।
भारत का यह कदम देश की बढ़ती सैन्य आधुनिकीकरण की आवश्यकता को दर्शाता है। ₹15,000 करोड़ के अनुमानित लागत वाला AMCA कार्यक्रम भारत की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है कि वह केवल उन्नत हथियारों का खरीदार न बनकर, एक निर्माता बने जो स्थापित हवाई शक्तियों को भी चुनौती दे सके।


