भारतीय नौसेना 2035 तक 175 नए जहाजों का बेड़ा बनाने की योजना बना रही है, जिसमें पनडुब्बियों को भी शामिल किया जाएगा। हाल ही में, नौसेना ने युद्धपोत हिमगिरि पर एक वीडियो जारी किया, जिसे विशाखापत्तनम में बेड़े में शामिल किया जाना है। नौसेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए लगभग 17 नए युद्धपोत और 9 पनडुब्बियों को मंजूरी मिलने की संभावना है, जो विभिन्न अनुमोदन प्रक्रियाओं के अधीन हैं।
वर्तमान में, देश में 61 युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण विभिन्न चरणों में चल रहा है, और नए जहाजों का निर्माण भी भारत में ही किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, 70 हजार करोड़ रुपये की लागत से प्रोजेक्ट 17 बी के तहत 7 अगली पीढ़ी के फ्रिगेट और दो मल्टी पर्पज पोत बनाने का प्रस्ताव जल्द ही आएगा। प्रोजेक्ट 75 इंडिया (I) के तहत 70 हजार करोड़ रुपये की लागत से 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियां और प्रोजेक्ट 75 (एड-ऑन) के तहत लगभग 36 हजार करोड़ रुपये में 3 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बियां भी बनाई जाएंगी।
इसके अतिरिक्त, 8 नेक्स्ट जेनरेशन कार्वेट्स बनाने की योजना है, जिस पर लगभग 36 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। सभी परियोजनाओं को मिलाकर कुल लागत 2.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 355 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं, जबकि भारतीय नौसेना के पास 130 से अधिक जहाज और पनडुब्बियां हैं। पुराने प्लेटफॉर्म के तेजी से पुराने होने के कारण नए पोतों की आवश्यकता है ताकि कुल ताकत बढ़ाई जा सके, हालांकि भारतीय नौसेना के पास अभी भी कई पुरानी पनडुब्बियां हैं।
भारत हमला पनडुब्बियां भी बना रहा है।
6 स्वदेशी स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के शामिल होने के बावजूद, नौसेना की पनडुब्बी शाखा में 12 पुरानी पनडुब्बियां चालू हैं। इसलिए, नौसेना को और भी शक्तिशाली विध्वंसक और पनडुब्बियों की आवश्यकता है। भारत अब परमाणु शक्ति से चलने वाली हमला पनडुब्बियां (SSN) बना रहा है, जो अमेरिका की वर्जीनिया-क्लास ब्लॉक V पनडुब्बियों के समान होंगी। सूत्रों के अनुसार, कुल 6 SSN पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। पहली पनडुब्बी का निर्माण विशाखापत्तनम के शिपबिल्डिंग सेंटर में शुरू हो चुका है। पहली पनडुब्बी 2030 से 2035 के बीच भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी।
ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की ‘ब्लू वॉटर’ यानी दूर समुद्रों में संचालन करने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगी। इस परियोजना को 2024 में सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने मंजूरी दी थी। इन पनडुब्बियों में 40 मिसाइलों को ले जाने की क्षमता होगी, जिन्हें वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) से दागा जा सकता है। ये पनडुब्बियां एयरक्राफ्ट कैरियर्स के साथ मिलकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएंगी।
ये परमाणु पनडुब्बियां 95 प्रतिशत तक स्वदेशी होंगी। ये पनडुब्बियां अरिहंत क्लास से अलग होंगी। इन्हें प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल के तहत बनाया जाएगा। वर्तमान में, भारतीय नौसेना के लिए लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की लागत से 2 परमाणु पनडुब्बियां बनाने की अनुमति दी गई है। इसके बाद, चार और बनाई जाएंगी।
प्रोजेक्ट 18 विध्वंसक युद्धपोत
इसके अतिरिक्त, भारत ने प्रोजेक्ट 18 नाम का अगली पीढ़ी का विध्वंसक युद्धपोत तैयार करने की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, यह जहाज 144 मिसाइलों से लैस होगा, जिसमें सुपरसोनिक ब्रह्मोस से लेकर हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 तक शामिल हैं। साथ ही, इसकी रडार प्रणाली इतनी शक्तिशाली होगी कि यह 500 किलोमीटर दूर तक दुश्मन को पहचान कर उस पर सटीक वार कर सकेगा।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, प्रोजेक्ट 18 भारत का सबसे आधुनिक और भारी विध्वंसक युद्धपोत होगा, जिसे वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने तैयार किया है। डिजाइन का काम 2023 में शुरू हुआ है और उम्मीद है कि निर्माण कार्य 2030-35 तक पूरा हो जाएगा।