भारत और अमेरिका ने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग का आयोजन किया। इस बैठक में दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया और रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने पर सहमति व्यक्त की।
बैठक में ऊर्जा सुरक्षा, असैनिक परमाणु सहयोग, महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, आतंकवाद और मादक पदार्थों के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त, एक नए दस वर्षीय रक्षा साझेदारी ढांचे पर जल्द हस्ताक्षर करने की दिशा में भी प्रगति हुई। दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग, परिचालन समन्वय और सूचना साझाकरण को और मजबूत करने पर बल दिया।
इस बातचीत का एक महत्वपूर्ण केंद्र भारत-अमेरिका कॉम्पैक्ट पहल थी, जिसके तहत 21वीं सदी के लिए सैन्य साझेदारी, वाणिज्य और प्रौद्योगिकी में नए अवसर पैदा करने का एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। दोनों देशों ने इस बात को भी दोहराया कि वे क्वाड के माध्यम से एक सुरक्षित और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
हाल के महीनों में, भारत-अमेरिका संबंध मिले-जुले रहे हैं। एक ओर, रणनीतिक और रक्षा सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है, वहीं दूसरी ओर, आर्थिक मोर्चे पर कुछ तनाव भी हैं। अमेरिका ने हाल ही में भारत से आने वाले कुछ निर्यात उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया है, जिससे व्यापारिक संबंधों में दबाव महसूस हो रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के लिए भारत इंडो-पैसिफिक में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है, जबकि भारत के लिए अमेरिका उच्च तकनीक, निवेश और रक्षा सहयोग का एक प्रमुख स्रोत है। यही कारण है कि मतभेदों के बावजूद दोनों देश अपने रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
कुल मिलाकर, यह बैठक दर्शाती है कि भारत और अमेरिका मौजूदा चुनौतियों के बावजूद दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।