चीन के साथ गतिरोध के कारण एलएसी पर बुनियादी ढांचे का अभूतपूर्व विकास हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में, भारत अग्रिम पंक्ति के गांवों को मुख्य भूमि से जोड़ने में सफल रहा है, जिससे इन क्षेत्रों की दूरी और समय में कमी आई है. सड़कों, पुलों, सुरंगों और हवाई अड्डों का यह नेटवर्क अब भारत के शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों के लिए एक निवारक बन गया है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में बताया कि कैसे भारत सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल श्रीनिवासन ने बताया कि पिछले 12-14 वर्षों में सीमाओं पर सड़क संपर्क के तरीके में बदलाव आया है. अब लद्दाख के लिए एक तीसरा संपर्क मार्ग बनाया जा रहा है, जिसमें शिंकू ला दर्रे पर एक सुरंग भी शामिल है. उन्होंने कहा कि सीमाओं पर सड़कें बनाने में तेजी आई है, और यह सिर्फ लद्दाख तक सीमित नहीं है, बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में भी हो रहा है.
उन्होंने कहा कि बीआरओ का बजट पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है, जिससे सड़कों का निर्माण तेज हुआ है. पिछले वर्ष में 1125 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं, और इस वर्ष 1500 किलोमीटर सड़कें बनाने की उम्मीद है. सीडीएफडी सड़क (चुशुल-डुंगती-फुकचे-डेमचोक) और डीएसडीबीओ सड़क (दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी) के निर्माण से कनेक्टिविटी बढ़ी है.
लेफ्टिनेंट जनरल श्रीनिवासन ने बताया कि चीन अक्सर निर्माण कार्यों पर आपत्ति जताता है, लेकिन भारत अपनी सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है. उन्होंने उमलिंग ला रोड, जो दुनिया की सबसे ऊंची मोटर-योग्य सड़क है, का भी जिक्र किया और कहा कि और भी ऊंची सड़कें बनाई जा रही हैं. बीआरओ सुरंगों का निर्माण भी तेजी से कर रहा है, जिसमें अटल सुरंग, सेला सुरंग और शिंकू ला सुरंग शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि चीन भारत द्वारा किए जा रहे बुनियादी ढांचे के विकास पर चिंता जताता है. भारत अपनी सीमाओं पर किसी भी संभावित आक्रमण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहा है. लद्दाख में मुध न्योमा एयरबेस जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. बीआरओ क्षमता विकास, नई पीढ़ी के उपकरणों और स्वदेशी उपकरणों पर भी ध्यान दे रहा है.
लेफ्टिनेंट जनरल श्रीनिवासन ने कहा कि सरकार सीमा सड़क परियोजना को एक बल-गुणक के रूप में देख रही है, और सीमा पर सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारतीय सेना से भरपूर सहयोग मिल रहा है. उन्होंने ग्रामीणों के प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए कहा कि सड़कों के निर्माण से आर्थिक प्रगति को बढ़ावा मिला है. उन्होंने बीआरओ के बारे में कहा कि यह एक अनूठा संगठन है जिसमें सैन्य अनुशासन और असैन्य विशेषज्ञता का मिश्रण है. उन्होंने अस्थायी वेतनभोगी श्रमिकों के समर्पण की भी सराहना की, जो इन दुर्गम इलाकों में सड़कें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।