नई दिल्ली: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी INS विक्रांत के डेक पर खड़े हुए, तो उनके पैरों के ठीक नीचे भारत का एक अत्यंत गोपनीय रक्षा चमत्कार छिपा था – बराक-8 मिसाइल लॉन्चर, जो जहाज के वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) के भीतर स्थापित है। यह कोई साधारण युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत में निर्मित एक तैरता हुआ किला है, जो ऐसी तकनीक से लैस है जो क्षितिज पर खतरे के दिखने से पहले ही उसे नष्ट कर सकती है। बराक-8 मिसाइल इस सुरक्षा कवच का दिल है।
जिस स्थान पर प्रधानमंत्री खड़े थे, वहां 32 बराक-8 सरफेस-टू-एयर मिसाइलों के लॉन्च सेल मौजूद हैं। प्रत्येक सेल में एक ऐसी मिसाइल है जो 100 किलोमीटर के दायरे में किसी भी विमान, ड्रोन या आने वाली मिसाइल को निशाना बना सकती है। यह प्रणाली विक्रांत को एक अतिरिक्त विध्वंसक (destroyer) की मारक क्षमता प्रदान करती है। दुनिया के कुछ ही विमान वाहक पोतों के पास अपना संपूर्ण हवाई रक्षा प्रणाली होती है, लेकिन INS विक्रांत उनमें से एक है। यह किसी भी बैकअप का इंतजार किए बिना युद्ध, रक्षा और कमान का नेतृत्व कर सकता है।
‘बराक’ हिब्रू भाषा में ‘बिजली’ का अर्थ है, और अपने नाम के अनुरूप, यह मिसाइल आसमान में बिजली की गति से चलती है। भारत और इज़राइल के संयुक्त सहयोग से विकसित, यह मिसाइल अपने रडार से लक्ष्य को ट्रैक करती है और स्वयं ही लॉक करके उसे नष्ट कर देती है। यह 2,500 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से ऊपर की ओर लॉन्च होती है और 60 किलोग्राम के वारहेड के साथ लक्ष्य से टकराकर विस्फोट करती है। बारिश या कोहरे का इस पर कोई असर नहीं होता; यह चूकती नहीं है। 275 किलोग्राम वजन और 4.5 मीटर लंबाई की यह मिसाइल इतनी छोटी है कि एक सेल में फिट हो जाए, लेकिन इतनी शक्तिशाली है कि उड़ान में दुश्मन के स्टील को चकनाचूर कर दे। बराक-8, 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। एक मिसाइल एक लक्ष्य का पीछा कर सकती है, और 32 मिसाइलें एक पूरे हमले को नाकाम कर सकती हैं।







