रांची। पश्चिमी सिंहभूम जिले के विश्व प्रसिद्ध सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने के लिए बुधवार को कैबिनेट की बैठक में चर्चा हुई। कैबिनेट ने इस पर निर्णय लेने के लिए मंत्रियों का एक समूह (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) बनाया है, जो सरकार को अपनी सिफारिशें देगा। राज्य सरकार इसी के आधार पर फैसला लेगी। मंत्रियों का यह समूह क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं का अध्ययन करेगा और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा। साथ ही, सभी संबंधित विभाग (हितधारक) भी अपनी राय देंगे। इसके बाद इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि सारंडा वन्यजीव अभयारण्य के लिए 575.19 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षित करने की योजना है। इस क्षेत्र में पश्चिमी सिंहभूम जिले के अंकुआ, समता, करमपदा, गूदलीबाग, त्रिकोशी, थलकुवाद गांवों को अभयारण्य का हिस्सा के रूप में संरक्षित किया जाएगा। यह जानकारी कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को दी। कैबिनेट की बैठक में कुल 27 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
यह क्षेत्र वन्यजीवों से समृद्ध है, जिसमें लुप्तप्राय उड़ने वाली छिपकली भी शामिल है। यहां स्तनधारियों की 40 से अधिक प्रजातियां, पक्षियों की 162 प्रजातियां, उभयचरों की नौ प्रजातियां और सरीसृपों की 33 प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां के जंगली हाथी भी प्रसिद्ध हैं।
राज्य सरकार लातेहार जिले में स्थित मंडल बांध और पलामू बाघ परियोजना से प्रभावित सात गांवों के 780 परिवारों का पुनर्वास करेगी। कैबिनेट की बैठक में इसकी स्वीकृति दी गई। कैबिनेट इन विस्थापित परिवारों में से प्रत्येक को 15 लाख रुपये और एक एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगी।
कैबिनेट में राज्य के सहायक पुलिसकर्मियों को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। यह विस्तार पूर्व की शर्तों के अनुसार ही होगा। राजधानी रांची स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 97 करोड़ 65 लाख 82 हजार 500 रुपये की स्वीकृति दी गई।





