रांची में झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यों में बाधा डालने के लिए कानून का सहारा लिया जाता है, मानो कानून उनकी जेब में हो।
सीएम ने कहा कि कई संवैधानिक संस्थाएं विपक्ष के इशारे पर काम कर रही हैं, जो सरकार को विभिन्न तरीकों से घेरने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दलितों, पिछड़े वर्गों, आदिवासियों और किसानों के लिए मजबूती से काम करेगी।
मुख्यमंत्री ने राज्य में ‘जनता की सरकार’ होने की बात कही और अन्य राज्यों में विपक्ष की सरकारों की स्थिति पर सवाल उठाया। उन्होंने लद्दाख का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार सोमन वांगचु के कार्यों को महत्व नहीं देती।
सीएम ने नए संशोधन कानूनों पर भी सवाल उठाए और कहा कि इसके पीछे एक बड़ा एजेंडा छिपा है। उन्होंने चुनावी प्रक्रिया और बिहार में वोटों के डिलीट होने पर भी चिंता व्यक्त की।
सीएम ने कहा कि झारखंड की खनिज संपदा से कई लोग अरबपति और खरबपति बने हैं, जबकि राज्य की स्थिति खराब हो गई है। उन्होंने पीएमओ द्वारा खदानों की नीलामी की निगरानी पर भी सवाल उठाया।
मुख्यमंत्री ने ‘रिम्स टू’ के नाम पर हो रही राजनीति और विपक्ष द्वारा संवैधानिक संस्थाओं को पैसे से खरीदने पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि झारखंड कई चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ा है और विपक्ष को राज्य के हित में सोचना चाहिए।