
गिरिडीह जिले के जमुआ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई है। यहां न केवल एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी है, बल्कि जो चिकित्सीय व्यवस्था चल रही है, वह भी केवल कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) के भरोसे है। ऐसी स्थिति में, बृहस्पतिवार को लैब टेक्नीशियन की गैरमौजूदगी ने व्यवस्था की खामियों को और उजागर कर दिया।
जमुआ सीएचसी में तीन लैब टेक्नीशियन कार्यरत बताए जाते हैं। इनमें से दो गुरुवार को उपस्थित थे, लेकिन एक लैब टेक्नीशियन, निशांत कुमार, बिना किसी पूर्व सूचना के नदारद थे। चिकित्सा प्रभारी डॉ. कुलदीप तिर्की ने इस बात की पुष्टि की कि निशांत कुमार आज अनुपस्थित हैं। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने छुट्टी लेने से पहले अस्पताल प्रशासन को किसी भी प्रकार की सूचना नहीं दी थी, जो कि घोर लापरवाही का मामला है।
यह घटना झारखंड सरकार के शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के दावों पर सवाल उठाती है। जमुआ सीएचसी की बड़ी बिल्डिंग होने के बावजूद, वहां स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमराई हुई हैं। डॉक्टरों की कमी, दवाओं की अनुपलब्धता और अब लैब टेक्नीशियन का बिना बताए छुट्टी पर जाना, सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता पैदा करता है। यह अव्यवस्था मरीजों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।






