आधुनिक युग में, साइबर धोखाधड़ी एक जटिल समस्या बनती जा रही है। हर कोई, चाहे आम हो या खास, इससे प्रभावित हो रहा है। एक छोटी सी गलती और साइबर ठग पल भर में जीवन भर की कमाई उड़ा ले जाते हैं। साइबर अपराधी ठगी करने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। झारखंड सीआईडी ने एक ऐसे ही मामले का खुलासा किया है।
इस मामले में निवेश के नाम पर म्यूल बैंक खातों के माध्यम से लगभग ₹30 करोड़ की धोखाधड़ी की गई है। झारखंड सीआईडी के साइबर थाने की पुलिस ने राजधानी रांची सहित झारखंड के 6 जिलों – लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, कोडरमा और जामताड़ा में छापेमारी कर 7 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपियों में रांची के रोशन कुमार और सतीश कुमार शामिल हैं। रोशन कुमार के खाते में ₹10.02 करोड़ जमा थे, और उनके कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में अंतर-राज्यीय अपराध लिंक मिले हैं। सतीश कुमार के खाते में ₹6.2 करोड़ पाए गए, जिसका लिंक आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र से है।
जामताड़ा के जितेंद्र कुमार पप्पू के खाते में ₹5.1 करोड़ हैं, और उनके बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में लिंक हैं। लोहरदगा के नुरेज अंसारी के खाते से ₹5.05 करोड़ जमा थे, और उनके दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में लिंक पाए गए हैं।
पांचवें अपराधी प्राणरंजन सिन्हा (पलामू) के खाते में ₹1.06 करोड़, छठे गणेश चिक बड़ाईक (सिमडेगा) के खाते में ₹3.02 करोड़, और सातवें राजेंद्र कुमार साव (कोडरमा) के खाते में ₹67 लाख की धोखाधड़ी की रकम जमा थी।
गिरफ्तार अपराधियों के पास से 8 मोबाइल फोन, 12 सिम कार्ड, 9 एटीएम कार्ड, 4 पासबुक, 9 चेक बुक, एक उद्यम पंजीकरण और व्हाट्सएप चैट बरामद हुए हैं। गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा संचालित समन्वय पोर्टल के विश्लेषण के बाद पता चला कि झारखंड के साइबर अपराधियों ने धोखाधड़ी की रकम छिपाने के लिए 15000 म्यूल बैंक खातों का इस्तेमाल किया था।
म्यूल खाते ऐसे बैंक खाते होते हैं जिनका इस्तेमाल अपराधी साइबर फ्रॉड से मिले पैसे को ठिकाने लगाने के लिए करते हैं। ठग किसी और के नाम पर खाते खुलवाकर, उसमें फ्रॉड के जरिए पैसे जमा करते हैं। इन खातों में पैसे कहां से और कितनी बार ट्रांसफर हुए हैं, इसका पता लगाना मुश्किल होता है। धोखाधड़ी की रकम आने के बाद, साइबर अपराधी यूपीआई से बिना बैंक जाए मिनटों में पैसे ट्रांसफर करते हैं।