रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के समक्ष आज छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। फूड सेफ्टी ऑफिसर (FSO) और बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (CDPO) परीक्षाओं के परिणामों को पिछले दो वर्षों से लंबित रखने के विरोध में झारखंड स्टेट स्टूडेंट एसोसिएशन (JSSA) ने एक विशाल शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन आयोजित किया। अध्यक्ष सतनारायण शुक्ला के नेतृत्व में, राज्य भर से हजारों छात्र जेपीएससी कार्यालय के बाहर जमा हुए, अपनी न्याय की माँग उठाई।

दो साल का इंतज़ार, क्या है कारण?
यह परीक्षाएँ दो साल से भी अधिक समय पहले पूरी हो चुकी हैं, लेकिन परिणाम अब तक जारी नहीं हुए हैं। छात्र इस देरी से बेहद नाराज हैं और इसे आयोग की प्रशासनिक उदासीनता और नीतिगत विफलता का नतीजा बता रहे हैं। जेएसएसए का आरोप है कि अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
बार-बार आश्वासन, पर नतीजा शून्य
एसोसिएशन ने पिछले 24 महीनों में कई बार जेपीएससी सचिव से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपे। हर बार छात्रों को सिर्फ झूठे आश्वासन मिले। जेएसएसए का कहना है कि जेपीएससी और राज्य सरकार एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर छात्रों को गुमराह कर रहे हैं।
अध्यक्ष शुक्ला का कड़ा संदेश
धरना स्थल से बोलते हुए, अध्यक्ष सतनारायण शुक्ला ने कहा, “लाखों छात्रों के भविष्य के साथ जेपीएससी खिलवाड़ कर रहा है। हम अब और इंतजार नहीं कर सकते। हमारी मांगें स्पष्ट हैं: FSO और CDPO के परिणाम तत्काल घोषित किए जाएं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ नौकरी का मामला नहीं, बल्कि पारदर्शिता और न्याय की लड़ाई है।
24 जिलों से छात्र एकजुट
इस विरोध प्रदर्शन में झारखंड के सभी 24 जिलों के छात्रों ने भाग लिया, जो उनकी एकता और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उनकी एक ही पुकार थी – “FSO-CDPO का परिणाम जारी करो – नहीं तो जवाब दो!”
प्रमुख माँगें
छात्र संगठन ने जेपीएससी के सामने पाँच मुख्य माँगें रखी हैं:
1. FSO और CDPO परीक्षाओं के परिणाम तत्काल प्रकाशित हों।
2. देरी के कारणों की आधिकारिक रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
3. जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
4. परिणाम और मूल्यांकन प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता हो।
5. भविष्य की सभी परीक्षाओं के लिए समय-सीमा निर्धारित की जाए।
आगे का आंदोलन
जेएसएसए ने स्पष्ट किया है कि परिणाम आने तक संघर्ष जारी रहेगा और जल्द ही आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी। वे छात्रों के अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करेंगे।






