पूर्वी सिंहभूम जिले में कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व आस्था और भक्ति के रंग में सराबोर रहा। इस शुभ अवसर पर, स्वर्णरेखा, खरकई और कारो नदियों के विभिन्न घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह-सुबह आस्था की डुबकी लगाई। सूर्योदय से पहले ही, भक्तजन पवित्र नदियों के शीतल जल में स्नान कर भगवान विष्णु, शिव और मां गंगा की आराधना में तल्लीन हो गए।
जमशेदपुर के दोमुहानी संगम स्थल पर, जहाँ स्वर्णरेखा और खरकई नदियाँ मिलती हैं, श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखी गई। ब्रह्म मुहूर्त से ही घाटों पर स्नानार्थियों की लंबी कतारें लग गईं। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने पारंपरिक परिधानों में पूजा-अर्चना की और दीपदान किया। नदी में डुबकी लगाने के बाद, भक्तों ने भगवान विष्णु और शिव की पूजा-अर्चना की, साथ ही तिल, चावल, फल, वस्त्र और अन्न का दान कर पुण्य कमाया। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पूरे वर्ष गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है।
इसी तरह, पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुवा बाजार स्थित कारो नदी के तट पर भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। तड़के तीन बजे से ही भक्तजन नदी किनारे पहुँचकर स्नान और पूजा-अर्चना करने लगे। महिलाओं ने केले के पत्तों और कागज से बनी छोटी-छोटी नावों में दीप जलाकर उन्हें नदी में प्रवाहित किया, अपने परिवार, समाज और देश की खुशहाली की कामना की। स्नान के उपरांत, श्रद्धालु कुसुम घाट स्थित शिव मंदिर पहुँचे, जहाँ उन्होंने कतारबद्ध होकर भगवान शिव को दूध, बेलपत्र और गंगाजल अर्पित किया। मंदिर परिसर “हर हर महादेव” और “जय श्री हरि” के जयघोषों से गूंज उठा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, इसलिए इस माह में स्नान, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान किए गए धार्मिक कार्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं। यह पर्व, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं, देवताओं की विजय और असुर त्रिपुरासुर के वध की स्मृति में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का संहार किया था।
प्रशासन द्वारा सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस बल और स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं को सहायता प्रदान की, यातायात नियंत्रण और घाटों की सफाई का जिम्मा संभाला। सामाजिक संस्थाओं ने भी प्रसाद वितरण, पेयजल और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था कर श्रद्धालुओं की सेवा की।
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