झारखंड के मंत्री संजय यादव अपने बेटे रजनीश यादव को कहलगांव सीट से राजद का टिकट दिलाने में कामयाब तो रहे, लेकिन जीत दिलाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। इस सीट पर महागठबंधन में ही घमासान मचा हुआ है, क्योंकि कांग्रेस इस सीट को अपनी परंपरागत सीट मानकर प्रवीण कुशवाहा को उम्मीदवार बना चुकी है। कांग्रेस ने राजद पर अपना उम्मीदवार वापस लेने का दबाव बनाया है, लेकिन दोनों दल अपने रुख पर अड़े हुए हैं, जिससे यह विवाद अभी सुलझता नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस के लिए कहलगांव एक ऐतिहासिक सीट रही है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने लगातार जीत दर्ज की थी। यही कारण है कि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। दूसरी ओर, मंत्री संजय यादव की जिद और राजद नेतृत्व में उनकी पहुंच के चलते उनके बेटे रजनीश यादव को टिकट तो मिल गया, लेकिन अब पार्टी के भीतर ही यह फंसा हुआ मामला है।
महागठबंधन की आंतरिक कलह के अलावा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बागी होकर वर्तमान विधायक पवन यादव भी निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतर गए हैं। पवन यादव की स्थानीय क्षेत्र में मजबूत पकड़ है, खासकर यादव मतदाताओं के बीच। पिछले चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी, जिससे वे रजनीश यादव के लिए एक बड़ा खतरा बन गए हैं।
इस बीच, कहलगांव सीट इस बार जनता दल (यूनाइटेड) के खाते में चली गई है, जिसने शोभानंद मुकेश को अपना उम्मीदवार बनाया है। जदयू के खाते में सीट जाने के बाद ही विधायक पवन यादव ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस प्रकार, मंत्री संजय यादव के बेटे रजनीश यादव को कहलगांव में कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है। इस चुनाव में मंत्री संजय यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। अब 14 नवंबर को ही यह स्पष्ट होगा कि रजनीश यादव का भविष्य क्या होगा।