खूंटी जिले में ठंड ने अपना सितम ढाना शुरू कर दिया है। तापमान में आई भारी गिरावट के चलते सुबह और रात में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग शाम होते ही घरों में कैद होने को मजबूर हैं। दुर्भाग्यवश, स्थानीय प्रशासन की ओर से ठंड से बचाव के लिए अब तक कोई खास कदम नहीं उठाए गए हैं। न तो जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण की पहल हुई है और न ही सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है।

शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, खासकर सड़कों और बस स्टैंडों पर रात गुजारने वाले गरीब और मजदूर वर्ग के लोग कड़ाके की ठंड से बुरी तरह प्रभावित हैं। पिछले वर्षों में नवंबर की शुरुआत से ही जिला प्रशासन अलाव की व्यवस्था कर देता था, लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल विपरीत है। प्रशासनिक उदासीनता के कारण लोग खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को विवश हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर भी जनप्रतिनिधियों या प्रखंड प्रशासन द्वारा कोई सुध नहीं ली जा रही है, जबकि मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान और गिरने की चेतावनी दी है।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से तत्काल ठंड से बचाव के उपाय करने, सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था सुनिश्चित करने और गरीबों व असहायों के बीच कंबल बांटने की मांग की है। सामाजिक संगठनों ने भी मानवता के नाते प्रशासन से अपील की है कि ऐसे कदम उठाए जाएं जिससे कोई भी व्यक्ति सर्द रातों में ठंड से ना कांपे।
प्रखंड विकास पदाधिकारी नवीन चन्द्र झा ने बताया कि अभी तक प्रखंडों में कंबलों की आपूर्ति नहीं हुई है। वहीं, तोरपा की अंचलाधिकारी पूजा बिनहा के अनुसार, अलाव जलाने को लेकर जिला प्रशासन से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।





