उत्तर प्रदेश के एक गाँव में प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत सरकारी जमीन पर बन रहे घरों के निर्माण को ग्रामीणों ने रोक दिया है। इस अप्रत्याशित कदम से स्थानीय प्रशासन और योजना के लाभार्थियों में हलचल मच गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं और वे इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब यह बात सामने आई कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटित भूखंडों पर कुछ ऐसे लोगों को आवास आवंटित किए गए हैं, जिनका इन पर कोई हक नहीं बनता। ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित थी या फिर स्थानीय निवासियों के हक की थी, जिस पर अब नियमों का उल्लंघन कर निर्माण कराया जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने एकत्र होकर निर्माण स्थल पर धरना दिया और सरकारी अधिकारियों से तत्काल इस मामले की जांच की मांग की। उनका कहना है कि जब तक उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हो जाता और यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि आवंटन पूरी तरह से पारदर्शी और नियमों के अनुसार हुआ है, तब तक कोई भी निर्माण कार्य नहीं होने दिया जाएगा।
इस विरोध प्रदर्शन के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चल रहे निर्माण कार्य रुक गए हैं। अधिकारियों ने ग्रामीणों को शांत करने और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। यह घटना दर्शाती है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है और कैसे स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि ऐसी समस्याएं उत्पन्न न हों।




