
रांची के होटवार जेल में तैनात उच्च कक्षपाल राहुल कश्यप को गृह एवं कारा विभाग ने बर्खास्त कर दिया है। जेल प्रशासन द्वारा की गई विस्तृत जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि राहुल कश्यप एक सजायाफ्ता कैदी है, जिसने यह महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर सरकारी नौकरी हासिल की थी। इस गंभीर कदाचार के मद्देनजर विभाग ने तत्काल प्रभाव से राहुल कश्यप को सेवा से मुक्त करने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही, विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब राहुल कश्यप को किसी भी प्रकार का वेतन या अन्य भुगतान नहीं किया जाएगा।
राहुल कश्यप पर यह गंभीर आरोप था कि उसने अपने आपराधिक रिकॉर्ड और सजायाफ्ता होने की हकीकत को छुपाते हुए रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार (होटवार जेल) में उच्च कक्षपाल के प्रतिष्ठित पद पर नियुक्ति पाई थी। मामला प्रकाश में आने के बाद, कारा विभाग ने इस पूरी घटना की सत्यता जानने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने गहन जांच-पड़ताल के बाद अपनी रिपोर्ट कारा विभाग को सौंपी। रिपोर्ट में राहुल कश्यप को दोषी पाया गया और उसे सेवा से बर्खास्त करने की कड़ी अनुशंसा की गई थी।
जांच समिति की रिपोर्ट में राहुल कश्यप के विरुद्ध दर्ज आपराधिक मामले और उसे मिली सजा का पूरा ब्यौरा सामने आया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 26 सितंबर 2010 को राहुल के खिलाफ दुष्कर्म और अन्य गंभीर धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अदालत में सुनवाई चलने के बाद, न्यायालय ने राहुल कश्यप को इस मामले में दस साल की कारावास की सजा सुनाई थी। सजा मिलने के बाद, वह 22 अप्रैल 2014 से 28 अप्रैल 2014 तक खूंटी उपकारा में एक सजायाफ्ता कैदी के रूप में बंद रहा। तत्पश्चात, 29 अप्रैल 2014 को उसे रांची के होटवार जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वह अब एक सरकारी सेवक के तौर पर कार्यरत था।






