रांची में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव मनाया गया, जिसमें सह सरकार्यवाह आलोक कुमार ने स्वयंसेवकों और नागरिकों को संबोधित किया। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष को ध्यान में रखते हुए अगले 15-20 वर्षों में समाज में ‘पंच परिवर्तन’ लाने की बात कही। आलोक कुमार ने समाज को सशक्त, स्वावलंबी और समरस बनाने के लिए पांच परिवर्तनकारी कदमों पर जोर दिया, जिन्हें स्वयंसेवकों को अपना लक्ष्य बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति तक समानता नहीं पहुंचेगी, तब तक समरस राष्ट्र की कल्पना अधूरी है।
आलोक कुमार ने पर्यावरण असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पर्यावरण की रक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने परिवार को समाज की मूल इकाई बताते हुए कहा कि संवेदनशील, सुसंस्कृत और सशक्त परिवार ही राष्ट्र की नींव को मजबूत करते हैं। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर जोर दिया और ‘वोकल फॉर लोकल’ को भारत की आर्थिक स्वतंत्रता की कुंजी बताया। कुमार ने कहा कि एक जागरूक नागरिक वह है जो अपने कर्तव्यों का पालन पहले करता है, अधिकार अपने आप मिलते हैं।
आलोक कुमार ने विजयादशमी के ऐतिहासिक संदर्भ को जोड़ते हुए कहा कि हमें अपने अंदर के अहंकार, अज्ञान और नकारात्मकता का अंत करना चाहिए और ज्ञान, शक्ति और धन का उपयोग समाज के हित में करना चाहिए। उन्होंने बताया कि संघ के स्वयंसेवक शिक्षा, देश प्रेम, आपदा प्रबंधन और समाज जागरण के लिए घर-घर संपर्क करेंगे। मूसलाधार वर्षा के बीच स्वयंसेवकों ने कोकर नगर में अनुशासित रूप से पथ संचलन किया और शस्त्र पूजन किया, जो शक्ति और मर्यादा का प्रतीक है।