मेदिनीनगर में आयोजित एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संवाद में प्रोफेसर कद झा ने संत परंपरा के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि सच्चा संत वह है जो बिना किसी जाति या धार्मिक भेदभाव के समाज को एकता के सूत्र में पिरोता है और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। प्रोफेसर झा के अनुसार, साधु, ऋषि और संत के अर्थ में सूक्ष्म अंतर है; संत वह है जो सत्य के माध्यम से ईश्वर से साक्षात्कार का मार्ग दिखाता है।
इप्टा द्वारा संचालित सांस्कृतिक पाठशाला की 86वीं कड़ी में “संतों की परंपरा और हमारा समाज” विषय पर बोलते हुए, प्रो. झा ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जिन संतों ने मूर्ति पूजा का विरोध किया, आज उन्हीं की मूर्तियाँ स्थापित कर दी गई हैं। उन्होंने जोर दिया कि संतों की शिक्षाएं जाति, धर्म और संप्रदाय की सीमाओं से परे थीं और उनका मुख्य उद्देश्य आपसी सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव और सामाजिक विश्लेषक कमल चंद किसपोटा ने संतों की वाणी को जीवन में उतारने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रेम प्रकाश ने कबीर, तुलसी, नानक, रहीम और मीरा जैसे संतों का स्मरण करते हुए समाज की वर्तमान स्थिति का चित्रण किया और बताया कि लोग संतों की शिक्षाओं को याद तो करते हैं, पर उन्हें अमल में लाने से कतराते हैं।
शिक्षक गोविंद प्रसाद और अच्छे लाल प्रजापति ने भी इस बात पर सहमति जताई कि संतों के उपदेशों और समाज के व्यवहार में बड़ा अंतर है। उन्होंने बताया कि संत परंपरा तब फली-फूली जब समाज में विभाजनकारी भावनाएं चरम पर थीं, और संतों ने एकता का संदेश दिया। वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि आधुनिक युग में राजनीति में संतों का प्रवेश संत परंपरा की मूल भावना के विरुद्ध है। मिथिलेश कुमार ने रेखांकित किया कि आज संतों की वाणी की मनमानी व्याख्या करके उनकी परंपरा को दूषित किया जा रहा है।
कमल चंद किसपोटा ने कहा कि आज का सच्चा संत वह है जो मनुष्य को प्रकृति से जोड़े और उसके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराए, क्योंकि आज का मानव कृत्रिमता में जी रहा है। पंकज श्रीवास्तव ने याद दिलाया कि संतों ने ईश्वर को उनके गुणों और आचरण में देखा, न कि केवल मूर्तियों और चित्रों में, जबकि वर्तमान समाज इसी मूर्ति पूजा तक सीमित रह गया है। कार्यक्रम का समापन रवि शंकर के धन्यवाद ज्ञापन और पुस्तक भेंट के साथ हुआ।





