रांची। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ और स्वच्छ भारत मिशन कर्मचारी संघ के सदस्यों ने शुक्रवार को पेयजल स्वच्छता मंत्री योगेंद्र प्रसाद से मुलाकात की। उन्होंने नेपाल हाउस स्थित कार्यालय में मंत्री को स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम करने वाले प्रखंड समन्वयकों और सामाजिक प्रेरकों की लंबित मांगों को पूरा करने का आग्रह किया। संघ के महामंत्री सुनील कुमार साह ने बताया कि प्रखंड समन्वयक और सामाजिक उत्प्रेरक 2006 से कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को 24 जुलाई से नौकरी से हटा दिया गया, जबकि वे वर्षों से काम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि संघ ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसके बाद अदालत ने कर्मियों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी। बावजूद इसके, विभाग ने अब तक इन कर्मियों को योगदान नहीं कराया है। विभाग इन पदों पर आउटसोर्सिंग से बहाली करने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है, जबकि उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। संघ ने मंत्री से इन पदों पर हुई सभी नियुक्तियों को रद्द करने की मांग की। मंत्री ने कहा कि जो कर्मचारी 10-15 वर्षों से काम कर रहे थे, उन्हें स्थायी करने के बजाय जुलाई 2024 से मनमाने ढंग से हटा दिया गया, जिसे किसी भी स्तर पर सही नहीं ठहराया जा सकता। मंत्री ने कहा कि कार्मिक विभाग के पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि 10 वर्षों से अनियमित कर्मचारियों की सेवा को नियमित करने पर सरकार विचार करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य में बेरोजगारी खत्म करने के लिए रोजगार देने पर जोर दे रहे हैं। मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि संघ की मांगों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी और उन्हें न्याय मिलेगा। संघ ने मंत्री से इन कर्मियों को 40 हजार रुपये प्रति माह मानदेय देने, स्थायी समायोजन करने, सभी अवकाश स्वीकृत करने और राज्यकर्मियों की तरह सभी सुविधाएं देने की मांग की।
स्वच्छ भारत मिशन से निकाले गए प्रखंड समन्वयकों ने मंत्री से की मुलाकात
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