जहरीले सांपों को देखते ही आम तौर पर लोगों में डर और घबराहट पैदा हो जाती है। अधिकतर लोग यही सोचते हैं कि उनका कभी भी जहरीले सांपों से सामना न हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा राज्य है, जहां लोग जहरीले सांपों को दूर भगाने की बजाय, उन्हें गले में लपेटकर घूमते हैं? इस दौरान सांप उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। यह सब माता को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले खतरनाक करतबों का हिस्सा है।
यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है, बल्कि झारखंड की राजधानी रांची के बुंडू अनुमंडल क्षेत्र की एक पुरानी परंपरा है। यहां सांपों की देवी, मां मनसा देवी को खुश करने के लिए श्रद्धालु एक अनोखी परंपरा को सदियों से निभाते आ रहे हैं। तीन दिन तक चलने वाला यह धार्मिक अनुष्ठान, अन्य देवी-देवताओं की पूजा से काफी अलग और विचित्र है। इस परंपरा के तहत, गांव के लोग जहरीले सांपों को गले में डालकर घूमते हैं, और गांव में सांपों का मेला लगता है।
पौराणिक मान्यताएं क्या हैं?
ग्रामीणों के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के दौरान खेती के काम के बाद, गांव के लोग जंगल में जाकर जहरीले सांपों को ढूंढते हैं। वे उन्हें पकड़ते हैं और लगभग एक महीने तक अपने घरों में रखते हैं। सांपों की सेवा करते हैं, और फिर मनसा पूजा के दौरान इन जहरीले सांपों को हाथों में लेकर अपने शरीर पर छोड़ देते हैं। वे खुद को जहरीले सांपों से कटवाते हैं।
विष का असर नहीं होता
ऐसी मान्यता है कि सांपों की देवी मां मनसा की शक्तियों से, जहरीले सांप ग्रामीणों के दोस्त बन जाते हैं। परिणामस्वरूप, इन जहरीले सांपों के काटने का उन पर कोई असर नहीं होता। मनसा पूजा के बाद, ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए जहरीले सांपों को वापस जंगलों में छोड़ दिया जाता है।
मनसा पूजा के दौरान, ग्रामीण जहरीले सांपों से खुद को कटवाने के साथ-साथ लोहे की छड़ें भी अपने शरीर में चुभाते हैं। यह देखकर किसी को भी घबराहट हो सकती है, लेकिन श्रद्धालुओं का मानना है कि मां मनसा की कृपा से उन्हें दर्द नहीं होता। ग्रामीणों का कहना है कि मनसा देवी की पूजा करने से सांपदोष दूर होता है। इस पूजा में जो लोग विधि-विधान से शामिल होते हैं, वे ही सांपों के साथ कर्तव्य दिखाते हैं, जबकि अन्य दर्शक के रूप में मौजूद रहते हैं।