राज्यपाल ने स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि यह केवल खरीदारी का मामला नहीं है, बल्कि देश के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण का एक शक्तिशाली प्रतीक है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाना सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देना है।
राज्यपाल के अनुसार, जब हम स्वदेशी उत्पादों को खरीदते हैं, तो हम स्थानीय कारीगरों, छोटे व्यवसायों और भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देते हैं। इससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और देश के भीतर धन का प्रवाह सुनिश्चित होता है। यह पहल न केवल आर्थिक विकास को गति देती है, बल्कि यह हमारी अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने का एक तरीका भी है।
उन्होंने आगे बताया कि स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य बाहरी निर्भरता को कम करना और भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है। यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह सोच-समझकर अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी उत्पादों को शामिल करे। यह छोटा सा कदम देश के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है।