रांची में विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन, शुक्रवार को दिशोम गुरु शिबू सोरेन, शिक्षा मंत्री रहे रामदास सोरेन और देश भर के अन्य दिवंगत व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने सदन में कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान, दिशोम गुरु शिबू सोरेन, स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जैसे कई प्रमुख व्यक्तियों का निधन हो गया। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु का जाना एक युग का अंत था, लेकिन उन्होंने झारखंड को जो राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना दी, वह हमेशा झारखंड के समतामूलक नवनिर्माण को दिशा देगी।
उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन का निधन एक युग का अंत है, लेकिन उनके साथ खड़ा हुआ महान जन आंदोलन, उस जन आंदोलन के विचारों और उस जन आंदोलन से उपजे झारखंड बाबा के अमर होने का प्रमाण दे रहा है। स्पीकर ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन झारखंड और देश के एक बड़े राजनेता ही नहीं थे, बल्कि झारखंडी अस्मिता और संस्कृति के सबसे प्रमुख ध्वजवाहक भी थे।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र की राजनीति में विशेष पहचान रखने वाले स्कूली शिक्षा और निबंधन मंत्री रामदास सोरेन सहज, सरल, सौम्य और सामाजिक व्यक्तित्व के धनी थे। वह झारखंड आंदोलन के एक सच्चे योद्धा के रूप में हमेशा मजदूर और विस्थापितों की आवाज बनकर संघर्ष करते रहे। उनके असामयिक निधन से झारखंड की राजनीति में एक बड़ी शून्यता आई है, जिसकी भरपाई होना असंभव है।
सदन में 1971 के भारत-पाक युद्ध के नायक ग्रुप कैप्टन डीके पारूलकर, प्रसिद्ध नाटककार, कवि और गीतकार पद्मश्री विनोद कुमार पसायत, गोवा, बिहार, मेघालय और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक और वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह को भी श्रद्धांजलि दी गई। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने से जान गंवाने वालों को भी सदन में श्रद्धांजलि दी गई। शोक प्रकाश के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सोमवार की सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।